नई दिल्ली। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस के आयुक्त रह चुके परमबीर सिंह (Param Bir Singh) को बड़ी राहत देते हुए पुलिस को शुक्रवार को निर्देश दिया है। कि वह एससी/एसटी (Atrocities Case) कानून के तहत दर्ज मामले में 23 मई तक परमबीर सिंह को पुलिस गिरफ्तारी नहीं करे।
महाराष्ट्र: पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर ED का शिकंजा, मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने अदालत में याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और मामले की सीबीआई (CBI) जांच कराए जाने का अनुरोध किया था। न्यायूमर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तावडे की खंडपीठ ने शुक्रवार देर रात इस याचिका पर सुनवाई की।
परमबीर सिंह के अधिवक्ता ने दलील दी कि पूर्व पुलिस आयुक्त ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके कारण उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। लेकिन महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि कहा शिकायत में अपराध का खुलासा हुआ था, जिसके कारण प्राथमिकी दर्ज की गई। बहरहाल, पीठ ने प्राथमिकी दर्ज किए जाने के समय पर सवाल उठाया।
खबरों की माने तो पीठ ने मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी और तब तक परमबीर सिंह को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किए जाने का पुलिस को निर्देश दिया।
IT & Broadcast Ministry: 5G टावर की टेस्टिंग से नहीं फैल रहा कोरोना
क्या है पूरा मामला
मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav thackeray) को लिखे आठ पन्नों के एक पत्र में दावा किया था कि देशमुख चाहते थे कि पुलिस अधिकारी बार और होटलों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करें। परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख (Anil deshmukh) ने मुंबई पुलिस के एपीआई सचिन वाजे को फरवरी में आवास पर बुलाया था और उससे हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था।