नई दुनिया। साइबर की दुनिया के जो भी अपराध होते है वो व्यक्ति को पूरी तरह हिला कर रख देते है। हमने रियल लाइफ से लेकर फिल्मी दुनिया तक देखा है कि अगर कोई साइबर की दुनिया का शिकार होता है तो वो व्यक्ति पूरी तरह से परेशान हो जाता है। इस बार साइबर की दुनिया का एक नया पैतरा सामने आया है वो है विशिंग कॉल’। जी, सुनने में नया है पर इसमें पड़े-लिखे व्यक्ति भी फंस जाते है।
विशिंग कॉल क्या है
साइबर अपराधियों ने ऑनलाइन ठगी के लिए ‘विशिंग कॉल’ को बड़ा हथियार बनाया है। विशिंग कॉल से मतलब ऐसी कॉल से है, जिसके जरिए धोखाधड़ी की जाए। दिल्ली में औसतन हर माह इस तरह की ठगी के करीब दो सौ मामले सामने आ रहे हैं। साइबर जालसाज अमूमन खुद को किसी कंपनी या बैंक का कर्मचारी बताकर टेली-कॉलिंग या वॉयस कॉल कर ठगी करते हैं। इन्हीं कॉल को ‘विशिंग कॉल’ कहते हैं।
विशिंग कॉल से ठगी अधिकतर पढ़े-लिखे लोगों के साथ होती है। साइबर अपराधी यूजर को बैंक, कार्ड (डेबिट/क्रेडिट) या फिर खाते के अपडेट से जुड़ी जानकारी के नाम पर फोन करते हैं और संवेदनशील जानकारी हासिल कर खाते में सेंध लगा देते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि साइबर ठगी में 13 फीलदी मामले विशिंग कॉल के ही हैं।
इस साल कुल साइबर अपराध- 15,690 और पिछले साल कुल साइबर अपराध- 10,161
विशिंग कॉल विशिंग अटैक से बचने के लिए क्या करें,ऐसी किसी कॉल का जवाब न दें, जिसमें कॉलर यूजर आईडी, पासवर्ड, डेबिट कार्ड नंबर, पिन, सीवीवी आदि अपडेट या वेरिफाई करने को कहे।पासवर्ड, पिन, टिन आदि सख्त तौर पर गोपनीय होते हैं और इनकी बैंक के कर्मचारियों और सुरक्षा अधिकारियों को भी नहीं पता होता है। इसलिए आप फोन पर पूछे इन सवालों के जवाब न दें। किसी कॉल के बाद झांसे में आकर अगर आप पेमेंट करने भी लगे हैं तो ध्यान रखें कि अगर क्यूआर कोड स्कैन करने का ऑप्शन आता है तो पहले यह सुनिश्चित करें कि वह सही है या नहीं।