नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का विरोध-प्रदर्शन जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में कृषि कानूनों के खिलाफ विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक निकाले गए मार्च को पुलिस ने रोक दिया है। वहीं हिरासत में लिए गए प्रियंका गांधी समेत अन्य कांग्रेस नेताओं को रिहा कर दिया गया है।
बता दें कि नए कृषि कानून के विरोध में एक तरफ जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी राष्ट्रपति से मुलाकात की। तो दूसरी ओर मार्च में शामिल प्रियंका गांधी वाड्रा को पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया है। प्रियंका के आलावे पुलिस ने के सी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला समेत कई कांग्रेस नेताओं को भी हिरासत में लिया है।
Delhi: Congress' march to Rashtrapati Bhavan stopped by police. "Any dissent against this govt is classified as having elements of terror. We are undertaking this march to voice our support for the farmers," says Congress leader Priyanka Gandhi. pic.twitter.com/9lgpi3kRfu
— ANI (@ANI) December 24, 2020
राष्ट्रपति से मिलने के बाद राहुल गांधी ने किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि ” मैं पीएम को बताना चाहता हूं कि ये किसान तब तक घर वापस नहीं जाने वाले हैं, जब तक इन कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता।’ सरकार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए और इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। किसान और मजदूरों के साथ विपक्षी दल खड़े है।
I want to tell the PM that these farmers are not going to go back home until these farm laws are repealed. Govt should convene a joint session of Parliament and take back these laws. Opposition parties stand with farmers & labourers: Congress leader Rahul Gandhi https://t.co/1U7QzsYWrn pic.twitter.com/NbdGMrn9Yc
— ANI (@ANI) December 24, 2020
आगे राहुल गांधी ने कहा कि चीन ने भारत की हज़ारों किलोमीटर जमीन छीन ली है, PM उनके बारे में क्यों नहीं कहते? एक तरफ आप सिस्टम को तोड़ रहे हो, किसान,मज़दूर को मार रहे हो और बाहर से ताकतें देख रही हैं, कह रही हैं कि नरेंद्र मोदी हिन्दुस्तान को कमजोर कर रहा है, हमारे लिए अच्छे अवसर बनने जा रहे हैं।
बता दें कि नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 29वां दिन है, लेकिन अब सरकार और किसान के बीच कोई बात नहीं बनी है। सरकार अपने बातों पर अडिग है तो किसान तीनों नए कानून वापस लेने की मांग पर डटे हैं।