नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल का चुनावी दंगल एक बार फिर सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीएम पद बने रहने के लिए भवानीपुर से उपचुनाव जीतना जरूरी है। अगर दीदी नंदीग्राम की तरह यहां से भी चुनाव हार जाती है तो फिर दीदी को सीएम के पद से इस्तीफा देना पड़ेगा और इसलिए उन्होंने सबसे सुरक्षित सीट का चुनाव भी किया है। बता दें कि ममता बनर्जी पहले भी भवानीपुर से विधानसभा का चुनाव जीता है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सुवेंदु अधिकारी की चुनौती के कारण ही भवानीपुर की जगह नंदीग्राम से चुनाव लड़ी थी, जहां से वो हार गई। ऐसे में भाजपा ममता बनर्जी को फिर से हराने के लिए रणनीति बना रही है। 30 सितम्बर को होने वाले उपचुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करने के लिए भी भाजपा ने कई नामों पर चर्चा की और करीब एक सप्ताह के मंथन के बाद प्रियंका टिबरेवाल को ममता के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है।
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जानिए कौन है प्रियंका टिबरेवाल
प्रियंका टिबरेवाल राष्ट्रीय स्तर पर बहुत पहचान वाली नेता तो नहीं है लेकिन, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के विरोधियों में बड़ा चेहरा मानी जाती हैं। प्रियंका पेशे से वकील हैं और साल 2014 में भाजपा में शामिल हुई थी। माना जाता है कि उन्हें भाजपा में शामिल कराने में बाबुल सुप्रियो की अहम भूमिका रही है, लेकिन, प्रियंका ने अपने काम के दम पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान अपनी ओर खींचा और भाजपा युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष पर पहुंची। हालांकि, विधानसभा चुनाव में एंटली सीट से भाजपा की उम्मीदवार बनी और हार गई। लेकिन, चुनाव के बाद भी उन्होंने भाजपा को एक बड़ा आधार दिया।
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हिंसा मामले में दायर की थी याचिका
दरअसल,प्रियंका टिबरेवाल ने चुनाव के बाद हिंसा के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका के बाद ममता बनर्जी को एक तरफ हाईकोर्ट से फटकार सुनना पड़ा तो दूसरी ओर कोर्ट ने पहले मानवाधिकार आयोग की टीम को जांच का आदेश दिया और अब चुनाव बाद की हिंसा की जांच सीबीआई के हवाले कर दिया गया है। इस तरह प्रियंका टिबरेबाल को ममता के खिलाफ उतारने के लिए भाजपा ने इन बातों का ख्याल रखा। इसके साथ ही बीजेपी को ममता बनर्जी को चुनौती देने के लिए एक महिला उम्मीदवार की जरूरत थी। ताकि, महिलाओं के बीच उसकी पकड़ मजबूत हो सके, इन दोनों ही मामले में प्रियंका फिट बैठ रही थी, जिससे ममता की चुनौती बढ़ सकती है।
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ममता को घेरने की BJP ने बनाई रणनीति
प्रियंका को कमान देने के साथ-साथ भाजपा ने ममता को घेरने की बेहतर रणनीति भी बनाई है। इसके लिए बैरकपुर के सांसद और टीएमसी के पूर्व नेता अर्जुन सिंह को भवानीपुर का पर्यवेक्षक बनाया गया है। अर्जुन सिंह की बंगाल में रहने वाले हिंदी भाषियों के ऊपर अच्छी पकड़ है। उन्होंने टीएमसी के लिए बड़ा आधार बनाया था, लेकिन ममता बनर्जी से अनबन होने के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन किया और अब सांसद हैं। पिछले दिनों उनके घर पर बम फेंका गया था और उपचुनाव में अर्जुन सिंह इस मुद्दे को भी उठाएंगे।
अर्जुन सिंह के साथ-साथ भाजपा सांसद सौमित्र खान और ज्योतिर्मय सिंह को सह-पर्यवेक्षक बनाया गया है। इन तीनों की अपनी पहचान है, जो ममता बनर्जी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इनके अलावा भाजपा ने भवानीपुर के हर वार्ड की जिम्मेदारी एक-एक विधायक को दी है यानी भाजपा के आठ विधायक भवानीपुर में प्रियंका के लिए बैटिंग करेंगे। भाजपा की इस रणनीति का नतीजा तो चुनाव के बाद निकलेगा, लेकिन ममता बनर्जी के लिए इस उपचुनाव में जीत एक बड़ी चुनौती बन गई है.।