नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस की बगावत अब खत्म हो गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद कैप्टन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों मैं अपमानित महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था शायद कांग्रेस आलाकमान को मुझपर भरोसा नहीं रहा।
पिछले दो महीने मेरे साथ ये तीसरी बार हुआ है, जब हमे दिल्ली तलब किया गया। अब उन्हें जिस पर भरोसा है वो उसे मुख्यमंत्री बनाए। उन्होंने कहा समय आने पर आगे का फैसला करूंगा, अभी मैं कांग्रेस में ही हूं।
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बैठक से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा
पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने विधायकों की बैठक की घोषणा की है। इस बैठक में कांग्रेस के दो पर्यवेक्षक भी होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन और राजस्थान सरकार के मंत्री हरीश चौधरी के पर्यवेक्षक बनाए जाने से राहुल गांधी की भूमिका बढ़ने की बात कही जा रही है। हरीश चौधरी राहुल गांधी के करीबी नेता माने जाते हैं और अजय माकन भी राहुल गांधी के गुट के माने जाते हैं। बहरहाल बैठक से पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM Amarinder Singh) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
दरअसल, पंजाब कांग्रेस के चालीस विधायकों के कैप्टन विरोधी होने से यह साफ लग रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू इन लोगों का समर्थन कर रहे हैं। सिद्धू के पूर्व सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा ने तो यहां तक कह दिया कि 2017 में पंजाब ने हमें 80 विधायक दिए। लेकिन दुखद यह है कि कांग्रेस पार्टी एक अच्छा मुख्यमंत्री पंजाब को नहीं दे पाई। पंजाब के दुख और दर्द को समझते हुए अब समय आ गया है कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जाए। मोहम्मद मुस्तफा के इस बयान के बाद इसकी पूरी संभावना है कि पंजाब कांग्रेस के विधायकों की बैठक में नेतृत्व परिवर्तन सबसे बड़ा मुद्दा होगाऔर चालीस विधायकों के कैप्टन विरोधी होने के बाद कांग्रेस के साथ-साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भी फैसला लेने का समय आना तय है।
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जानिए पंजाब का चुनावी समीकरण
पंजाब विधानसभा में 117 विधायक हैं। किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कम से कम 59 विधायकों की जरूरत होगी। लेकिन, न तो कैप्टन विरोधी गुट के पास इतने विधायक हैं और न ही कैप्टन के पास इतने विधायक हैं कि वो अपने दम पर सरकार बना लें। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के पास अब नई मुसीबत आ गई है। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पंजाब में किसे मुख्यमंत्री बनाती है।
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पंजाब में खत्म हो जाएगी कांग्रेस
कैप्टन अमरिंदर सिंह अगर अपने समर्थक तीस से चालीस विधायकों के साथ पार्टी छोड़ते हैं, तो भी सिद्धू सीएम नहीं बन पाएंगे और फिर कांग्रेस की सरकार गिरेगी। जिसके साथ ही चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। कैप्टन की पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ेगी, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होगा। क्योंकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस का ही वोट ही अपने साथ लाएंगे। इसके अलावा उनके पास अकाली दल के साथ गठबंधन करने का विकल्प भी है। क्योंकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले भी अकाली दल में रह चुके हैं और किसान आंदोलन के समर्थन में अकाली दल ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया है। ऐसे में अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच चल रहे विवाद का समाधान का एक ही विकल्प नजर आ रहा है। जो कांग्रेस के टूटने की ओर इशारा करता है।