नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) का विवाद खत्म होने की बजाय और बढ़ता जा रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थक सिद्धू समर्थकों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी में जुटे हैं। वहीं दूसरी तरफ कैप्टन विरोधी गुट नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर अड़ा हुआ है। इस बीच पंजाब में कांग्रेस विधायकों की अहम बैठक है। कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत (Harish Rawat) ने कहा कि बड़ी संख्या में विधायकों की अपील पर बैठक बुलाई गई है।
The AICC has received a representation from a large number of MLAs from the congress party, requesting to immediately convene a meeting of the Congress Legislative Party of Punjab. Accordingly, a meeting of the CLP has been convened at 5:00 PM on 18th September at …..1/2 pic.twitter.com/BT5mKEnDs5
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) September 17, 2021
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सीएम कैप्टन अमरिंदर से विधायक नाराज
दरअसल, पिछले एक महीने से पंजाब में कांग्रेस की गुटबाजी इतनी बढ़ गई है कि अब कांग्रेस आलाकमान के पास कैप्टन या सिद्धू दोनों को साथ लाने का विकल्प खत्म होता दिखाई पड़ रहा है। ऐसें में आज कांग्रेस की इस बैठक होने वाली अहम बैठक में कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत शामिल होंगे। इसके अलावा मीटिंग में अजय माकन और हरीश चौधरी ऑब्जर्वर के रूप में भी हिस्सा लेंगे। बता दें कि सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से कई विधायक नाराज चल रहे हैं।
विधायकों ने आलाकमान को लिखी चिट्ठी
पंजाब में कांग्रेस में जारी कलह के बीच आज का दिन अहम है। बताया जा रहा है कि सीएम से नाखुश कई कांग्रेसी विधायकों ने आलाकमान को चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद शुक्रवार को प्रभारी हरीश रावत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व के निर्देश पर पंजाब के सभी विधायकों की बैठक पंजाब प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुलाई गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ इस बैठक में विरोध लहर उठ सकती है।
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सिरदर्द बना सिद्दू-कैप्टन का कहल
सिद्दू-कैप्टन का कहल कांग्रेस आलाकमान के लिए सिरदर्द बन गया है। गांधी परिवार के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि अगर फिर से सिद्धू के साथ मुलाकात करें, तो कैप्टन की नाराजगी बढ़ जाएगी। इस कारण दिल्ली में नवजोत सिंह सिद्धू के साथ न तो प्रियंका गांधी ने मुलाकात की और न ही राहुल गांधी ने क्योंकि, इन दोनों को अब लगने लगा है कि पंजाब कांग्रेस को टूटने से नहीं बचाया जा सकता है। ऐसे में अगर कैप्टन या सिद्धू में से किसी के खिलाफ पार्टी की तरफ से कार्रवाई की जाती है, तो कांग्रेस का ज्यादा नुकसान होगा। इसलिए फैसला इन दोनों के हाथों में छोड़ा जा रहा है ताकि, सिद्धू या कैप्टन कोई भी अपना रास्ता तलाश कर लें और ऐसे में जो पार्टी छोड़कर जाएगा, उसके ऊपर आरोप लगाया जाएगा।
गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालने के बाद से पार्टी में कलह बढ़ गई है। इस बीच कई बार कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत को खुद सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू से मिलकर बात को संभालना पड़ा।