नई दिल्ली। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने संसद में पेश आम बजट (Budget 2021) को दिशाहीन और निराशाजनक बजट बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी से पैदा हुई विकट बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। गहलोत ने आम बजट को राजस्थान के लिए पूरी तरह निराशाजनक करार दिया है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश यह बजट, केंद्रीय बजट से ज्यादा ‘पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है।
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सरकार का राजस्थान से भेदभावपूर्ण व्यवहार
गहलोत ने आम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश के मध्यम वर्ग करदाताओं को उम्मीद थी कि मोदी सरकार आयकर ‘स्लैब’ में बदलाव कर कोई राहत देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बजट से समाज का हर तबका पूरी तरह से निराश हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा और हर घर नल योजना में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश से सभी सांसद राजग के होने के बावजूद केंद्र सरकार ने राजस्थान से भेदभावपूर्ण व्यवहार किया है।
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पांच चुनावी राज्य बजट: गहलोत
गहलोत ने कहा कि इस बजट का पूरा ध्यान सिर्फ उन राज्यों- पश्चिम बंगाल,असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी- पर रहा जहां चुनाव होने हैं, यह केंद्रीय बजट से ज्यादा ‘पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है। कोरोना वायरस महामारी के बाद राज्यों पर आए वित्तीय संकटों के बारे में गहलोत ने कहा कि महामारी के कारण राज्यों के वित्तीय स्रोत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, राज्यों को उम्मीद थी कि बजट में विशेष आर्थिक पैकेज दिए जाएंगे जिससे राज्यों की स्थिति सुधर सके, नए रोजगार पैदा किए जा सकें और आमजन की क्रय शक्ति बढ़ सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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गहलोत के अनुसार किसान अपनी मांगों को लेकर महीनों से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार ने इस बजट में किसान हित में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया है। मुख्यमंत्री गहलोत ने इस बजट को पूरी तरह बड़े उद्योगपतियों के हितों को साधने वाला बजट बताया और कहा कि मोदी सरकार ने इस बजट के माध्यम से अपनी ‘सूट बूट की सरकार’ की छवि को पुन: जाहिर करते हुए सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को राहत देने का प्रयास किया है।