नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) का सबसे बड़ा विरोधी है। सबसे पहले 2013 में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी से बचने के लिए निर्देश जारी किया था। उसके बाद से इसका विरोध लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वहीं, RBI ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह बैन की जरूरत है। आंशिक रूप से बैन लगाने से कोई फायदा नहीं होगा।
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क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग को लेकर कोई रोक नहीं
तीन साल पहले 2018 में रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) ट्रेडिंग पर पूरी तरह बैन लगा दिया था। हालांकि, दो साल बाद 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के इस फैसले को पलट दिया। फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग को लेकर कोई रोक नहीं है, हालांकि रेग्युलेशन का अभाव जरूर है।
शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी रेग्युलेशन बिल
इधर, सरकार भी क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने को लेकर तत्पर है। संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी रेग्युलेशन बिल भी लाया गया, लेकिन बिल पर विशेष चर्चा नहीं हो पाई। दूसरी तरह RBI खुद की डिजिटल करेंसी CBDC पर काम कर रहा है।
रिजर्व बैंक का विरोध लगातार बढ़ रहा है
रिजर्व बैंक (RBI) का मानना है कि, क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता मिलने से फाइनेंशियल सिस्टम पर काफी बुरा असर होगा। इससे वर्तमान फाइनेंशियल सिस्टम की नींव हिल सकती है। बैंकों और रेग्युलेटर एजेंसियों की महत्ता भी घटने का डर है। इसके इतर क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन को ट्रेस कर पाना मुश्किल होगा, जिससे ब्लैकमनी का प्रवाह बढ़ेगा।
फॉरन एक्सचेंज रिस्क बढ़ जाएगा
वहीं, अगर प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी मिल जाती है तो फॉरन एक्सचेंज रिस्क काफी बढ़ जाएगा। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी IMF की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने भी कहा था कि, क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी मिलने से यह खतरा काफी बढ़ जाएगा।
बैन लगाने से चीन के साथ हो जाएगा भारत
एक फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि सरकार के भीतर दो धरे के लोग हैं। एक धरा का मानना है कि अगर क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह बैन लगाया जाता है तो भारत पूरी दुनिया से कट जाएगा। चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। ऐसे में भारत और चीन एक धरे में आ जाएगा।
बैन लगाने में अब देर हो चुकी है
लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि, क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर मिलना असंभव है। हालांकि इस पर पूरी तरह बैन लगाना अब संभव नहीं है। इसमें काफी देर हो चुकी है। उनका कहना है कि सरकार बीच का रास्ता अपनाएगी। इससे निवेशकों का इंट्रेस्ट भी बना रहेगा और जिस रफ्तार से इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है, उस पर भी ब्रेक लगेगा। इससे देश का फाइनेंशियल सिस्टम भी सुरक्षित रहेगा।
दूसरे देशों में पैसा वैसे ही नहीं ले जा सकते हैं
फॉरन एक्सचेंज रेग्युलेशन को लेकर नारायण का कहना है कि, आप भारत से दूसरे देशों में पैसा वैसे ही नहीं ले जा सकते हैं। भारत एक फॉरन एक्सचेंज रेग्युलेटेड मार्केट है। ऐसे में अमेरिका, यूके जैसे देश जिस तरह फैसले ले रहे हैं, ऐसा हम नहीं कर सकते हैं. विकसित देशों का बाजार पूरी तरह फ्री है। हमारे साथ ऐसा नहीं है।
फॉरन एक्सचेंज को लेकर संशय बरकरार
क्रिप्टो इंडस्ट्री भी फॉरन एक्सचेंज को लेकर सरकार से राय का इंतजार कर रही है। FEMA यानी फॉरन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट के तहत क्रॉस बॉर्डर मूवमेंट होने पर किसी भी प्रोडक्ट और सर्विस पर इंपोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी लगती है। ऐसे में क्रिप्टो एक्सचेंज को किस कैटिगरी में डाला जाएगा, यह अभी साफ नहीं है.