नई दिल्ली। देश में एक तरफ़ कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, वहीं अब कई राज्यों में लॉकडॉउन लगभग हटा दिया गया है या बेहद आंशिक रूप से लागू है। कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के साथ साथ वहीं, दूसरी तरफ कई राज्यों में एक बार फिर स्कूल खोले जा रहे हैं।
बीते दिन तेलंगाना सरकार ने भी एक सितंबर से स्कूल खोलने का फरमान जारी कर दिया है। इससे पहले उत्तराखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में भी स्कूल खोले जा चुके हैं। हालांकि, बच्चों और शिक्षकों से कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने को कहा गया है लेकिन, सवाल ये है कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच क्या स्कूल खोलना सुरक्षित होगा और क्या ये सही समय है? क्या स्कूल भी बच्चों के लिए पूरी तरह से खोल दिए जाने चाहिए?
उलझन में अभिभावक
तमाम राज्यों में स्कूल खुल गए हैं। वहीं, कुछ इसकी तैयारी में हैं। इस बीच वैज्ञानिक दावे ने अभिभावकों की उलझन बढ़ा दी है। वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर उलझन में हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) ने तीसरी लहर की चेतावनी दी है। इसमें अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका जताई गई है। बताया गया है कि अक्टूबर के आसपास यह पीक पर पहुंच सकती है। एनआईडीएम गृह मंत्रालय के तहत आता है। रिपोर्ट में बच्चों के लिए खास तैयारी करने पर जोर दिया गया है। इसके उलट आईआईटी-कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो मणींद्र अग्रवाल ने दावा किया है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका अब नहीं के बराबर है।
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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रमुख बलराम भार्गव भी एहतियात के साथ प्राइमरी स्कूल और फिर सेकेंडरी स्कूल खोले जाने का सुझाव दे चुके हैं लेकिन, अभिभावकों में इसे लेकर अभी भी डर बरकरार है। अभिभावकों का कहना है कि ऐसे समय में बच्चों का भीड़ के बीच जाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है। बच्चों को मास्क लगाने की आदत नहीं होती और सोशल डिस्टेंसिंग की भी इतनी समझ नहीं है। सबसे बड़ी चिंता है कि बच्चों को अभी तक कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगाई गई है।
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एनआईडीएम (NIDM) के तहत गठित एक्सपर्ट पैनल ने तीसरी लहर की चेतावनी दी है। उसने कहा है कि तीसरी लहर अक्टूबर के आसपास पीक पर पहुंच सकती है। उसने स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। पैनल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में रॉयटर्स के ओपीनियन सर्वे का हवाला दिया गया है। सर्वे में 40 एक्सपर्ट्स ने 15 जुलाई से 31 अक्टूबर 2021 के बीच भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने के संकेत जताए हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है।
अस्पताल में पहले के मुकाबले कोरोना के मामले कम आ रहे । कोरोना कई हद तक कम हो गया है। हालांकि, कोरोना की तीसरी लहर अभी भी चिंता का विषय हैं। ऐसे में अस्पताल में तैयारियां जारी हैं। बच्चों के लिए 100 से ज्यादा ईसीयू (ICU) और स्पेशल वार्ड बनाए गए हैं।
तीसरी लहर न आने का दावा, आईआईटी कानपुर
आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने दावा किया है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका अब नहीं के बराबर है। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि इसके पीछे वजह बड़ी संख्या में वैक्सीन लगना है। उनका यह दावा मैथमैटिकल मॉडल पर आधारित है। अग्रवाल ने कहा कि अक्टूबर तक देश में कोरोना संक्रमण के एक्टिव केस 15 हजार के करीब ही रह जाएंगे। इसकी वजह तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, असम, अरुणाचल समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में संक्रमण की मौजूदगी रहेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश जैसे राज्य संक्रमण से लगभग मुक्त हो जाएंगे।
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ट्रेंड होने लगा कोरोना
सरकारी रिपोर्ट और दावे के बीच सोमवार को ट्विटर पर #ThirdWaveOfCorona ट्रेंड होने लगा। इस हैशटैग के साथ लोगों ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। ज्यादातर ने बच्चों को लेकर ही जिंता जाहिर की।
https://twitter.com/iam_khushi_/status/1429985663131164695
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