नई दिल्ली। इस साल हम अपना 73वां गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) सेलिब्रेट करने जा रहे हैं। इस खास दिन के लिए देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के हर कोने में ज़ोरो-शोरो से तैयारियां की जाती हैं। स्कूल-कॉलेजों में इस दिन आयोजित होने वाले प्रोगाम के लिए बच्चे तैयारियों में जुट जाते हैं। इन सबके बीच क्या कभी आपके दिल में ये सवाल उठा है कि आखिर 26 जनवरी को ही हम ‘रिपब्लिक डे (Republic Day 2022) क्यों मनाते हैं? तो आइए जानते हैं।
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असल में, भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 में भारत के संविधान को स्वीकार किया था, जबकि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूरे देश में लागू हुआ था। यही वजह है कि हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी 1929 को अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा दिया था। इसके बाद से ही इस दिन को चुना गया था।
भारत को आज़ादी मिलने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ था। संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया। दुनिया के इस सबसे बड़े लिखित संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 माह, 18 दिन लग गए थे। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंपा गया, इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।
26 जनवरी1950 में इस दिन ही भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। और 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 बजे भारत एक गणतंत्र बना। इस के छह मिनट बाद 10.24 बजे डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।, इसके साथ ही इस दिन पहली बार बतौर राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से निकले। इस दिन पहली बार उन्होंने भारतीय सैन्य बल की सलामी ली। पहली बार उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
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