नई दिल्ली। आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने छत्तीसगढ़ के कार्यक्रम में भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने के लिए मंत्र दिया। उन्होंने कहा है कि विश्व गुरु भारत के निर्माण के लिए हम सभी को मिलकर साथ चलना होगा। उन्होंने कहा, हम सभी को अपने पूर्वजों के उपदेशों को स्मरण करना है। हमारे पूर्वजों के पुण्य का स्मरण करा देने वाले इस क्षेत्र में संकल्प लेना है कि संपूर्ण विश्व को शांति सुख प्रदान करा देने वाला विश्वगुरु भारत गढऩे के लिए हम सुर में सुर मिलाकर एक ताल में कदम से कदम मिलाकर सौहार्द और समन्वय के साथ आगे बढ़ेंगे।
मुंगेली जिले से होकर बहने वाली शिवनाथ नदी में स्थित मदकू द्वीप में 16 नवंबर से 19 नवंबर तक घोष शिविर का आयोजन किया गया था। शुक्रवार को इसके समापन के अवसर पर घोष प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें आरएसएस प्रमुख ने हिस्सा लिया था। उन्होंने इस अवसर पर कहा, सत्यमेव जयते नानृतम्। सत्य की ही जीत होती है, असत्य की नहीं। झूठ कितनी भी कोशिश कर लेकिन झूठ कभी विजयी नहीं होता है।
संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया उसी को पीटती है जो दुर्बल है।
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स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि दुर्बलता ही पाप है। बलशाली का मतलब है संगठित होना। अकेला व्यक्ति बलशाली नहीं हो सकता है। कलयुग में संगठन ही शक्ति मानी जाती है। हम सभी को साथ लेकर चलेंगे, हमें किसी को बदलने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने घोष प्रदर्शन को लेकर कहा, आपने अभी देखा होगा कि इस शिविर में सभी अलग-अलग वाद्य यंत्र बजा रहे थे। वाद्य यंत्र बजाने वाले लोग भी अलग थे। लेकिन सभी का सुर मिल रहा था। इस सुर ने हमें बांधकर रखा है। इसी तरह हम अलग अलग भाषा, अलग अलग प्रांत से हैं, लेकिन हमारा मूल एक ही है। यह हमारे देश का सुर है और यह हमारी ताकत भी है। और यदि कोई उस सुर को बिगाडऩे का प्रयास करे तो देश का एक ताल है, वह ताल उसको ठीक कर देता है।