नई दिल्ली: देशभर में आज विजयादशमी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में शस्त्र पूजा की। इस पर मौके पर मोहन भागवत देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा- 9 नवंबर को रामजन्मभूमि के मामले में अपना निर्णय देकर सर्वोच्च न्यायालय ने इतिहास बनाया। भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया।
When Sangh says Hindusthan is Hindu Rashtra it does not have any political or power centered concept in its mind. Hindutva is the essence of this Rashtra’s ‘Swa’(self-hood). We are plainly acknowledging the selfhood of the country as Hindu. #RSSVijayaDashami pic.twitter.com/FICQ45P28v
— RSS (@RSSorg) October 25, 2020
मोहन भागवत ने कहा, Vocal for Local यह स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है। परन्तु इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूर्ण होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा। इसीलिये स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में सबने आत्मसात करनाहोगा,तभी उचित दिशामें चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी। भारतीय विचार में संघर्ष में से प्रगति के तत्त्व को नहीं माना है। अन्याय निवारण के अंतिम साधन के रूप में ही संघर्ष मान्य किया गया है। विकास और प्रगति हमारे यहाँ समन्वय के आधार पर सोची गई है। हमारे राष्ट्र के विकास व प्रगति के बारे में हमें अपनी भाव भूमि को आधार बनाकर, अपनी पृष्ठभूमि में, अपने विकास पथ का आलेखन करना पड़ेगा। उस पथ का गंतव्य हमारे राष्ट्रीय संस्कृति व आकांक्षा के अनुरूप ही होगा।
मोहन भागवत ने कहा, विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं। अपने समाज की एकरसता का, सहज करुणा व शील प्रवृत्ति का, संकट में परस्पर सहयोग के संस्कार का, जिन सब बातों को सोशल कैपिटल ऐसा अंग्रेजी में कहा जाता है, उस अपने सांस्कृतिक संचित सत्त्व का सुखद परिचय इस संकट में हम सभी को मिला। भागवत ने कहा, स्वतंत्रता के बाद धैर्य, आत्मविश्वास व सामूहिकता की अनुभूति अनेकों ने पहली बार पाई है।
मोहन भागवत ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर कहा, संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है। भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा।