नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ पिछले करीब दो महीनें से किसानों का आंदोलन जारी है। इसी कड़ी में किसान इसके विरोध में 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालना चाहते हैं। आज फिर ट्रैक्टर मार्च को लेकर किसानों और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के बीच बैठक हुई। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर इस मामले पर कहा कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है, और यह फैसला करने का अधिकार सिर्फ पुलिस को है।
SC says it will not pass any order on Centre's plea against proposed tractor rally or any other kind of protest by farmers on Republic Day.
CJI says, "We've said that it is for the Police to decide. We are not going to pass the orders. You are the authority to take action." https://t.co/iikN1VNGAB
— ANI (@ANI) January 20, 2021
वहीं ट्रैक्टर रैली को लेकर ही किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालकर रहेंगे, हमें कौन रोकेगा, दिल्ली भी किसानों की है।
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दिल्ली पुलिस करेगी फैसला
बता दें किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली कर किसान संगठन मोदी सरकार को किसानों का ताकत दिखाना चाहते है। वहीं केंद्र सरकार के इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पुलिस के पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार हैं। पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में प्रवेश का मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस इस पर फैसला करेगी। पीठ ने कहा, अटॉर्नी जनरल, हम इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं और आपके पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार है।
केंद्र ने दिल्ली पुलिस के जरिए दायर याचिका में कहा है कि गणतंत्र दिवस समारोहों को बाधित करने की कोशिश करने वाली कोई भी प्रस्तावित रैली या प्रदर्शन देश के लिए शर्मिंदगी का कारण बनेगा। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देने और नहीं देने के बारे में पुलिस को ही करना है क्योंकि न्यायालय प्रथम प्राधिकारी नहीं है।
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फिलहाल नए कृषि कानून पर रोक
बता दें कि अदालत ने 12 जनवरी को एक अंतरिम आदेश में अगले आदेश तक नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी और दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान संगठनों एवं केंद्र के बीच गतिरोध के समाधान पर अनुशंसा करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति में भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान के दक्षिण एशिया के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और शेतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट को शामिल किया गया।