नई दिल्ली: Global Warming से जूझ रही विश्व (World) के लिए अच्छी खबर है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के लिए की गयी प्रतिबद्धताओं से World आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के गंभीर दुष्परिणामों को थोड़ा-सा कम कर सकती है। ऐसा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की Report और ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों द्वारा पेश एक Report में भविष्य के लिए आशा जतायी गई है।
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उनका कहना है कि अगर सब सही होता है तो हाल के कदमों से अक्टूबर मध्य में किए गए अनुमानों से 0.3 से 0.5 डिग्री फारेनहाइट तक तापमान कम हो सकता हैं। Analysis में पूर्व औद्योगिक काल के बाद से 2.1 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग के बजाय 1.8 या 1.9 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग का अनुमान जताया गया है। किन्तु, दोनों एनालिसिस में विश्व 1.5 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग से दूर है, जिसका लक्ष्य 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में तय किया गया था।
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धरती पहले ही 1.1 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो चुकी है। मेलबर्न विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक माल्टे मेनशॉसेन ने कहा – ‘हमारा अब भविष्य के लिए थोड़ा और सकारात्मक रुख है।’ उन्होंने 1.9 डिग्री सेल्सियस तक वार्मिंग का अनुमान जताया है और इसके लिए हिंदुस्तान तथा चीन द्वारा दीर्घकालीन प्रतिबद्धताओं को जिम्मेदार ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि – ‘यह अब भी 1.5 डिग्री से काफी दूर है। यह पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचने वाला है। यह दो डिग्री सेल्सियस से थोड़ा ही कम हैं। इसलिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।’
ऊर्जा एजेंसी ने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर अल्पकालीन कटौली और 2070 तक शून्य उत्सर्जन की हिंदुस्तान की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए एनालिसिस किया है। साथ ही एनालिसिस में ग्रीनहाउस गैस मिथेन में कमी लाने के लिए 100 से अधिक देशों द्वारा की गयी प्रतिबद्धताओं पर विचार किया गया है।
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