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Friday, March 29, 2024

Odisha: केंद्रपाड़ा के सात गांव क्यों हो गए नक्शे से गायब?

भुवनेश्वर: ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में 17 किलोमीटर में फैला एक इलाका, जहां कुछ साल पहले तक करीब 700 परिवार रहते थे, अब पूरी तरह मरुभूमि में बदल चुका है. इलाके में चारों तरफ बालू ही बालू नजर आता है. समुद्र तट के करीब इस इलाके में अब भी अतीत की कुछ चीजें देखने को मिल जाती हैं, बालू में धंसा हुआ हैंडपंप, आवारा जानवर, खजूर के पेड़ और बिना किसी मूर्ति के एक पुरानी मंदिर भी इस जगह पर है. ये मंदिर पहले इलाके के लोगों के लिए बैठने की अच्छी जगह हुआ करती थी.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये कहानी सतभाया की है जो 7 गांवों का समूह है. यह इलाका समुद्री कटाव के कारण नक्शे से करीब-करीब गायब हो चुका है और साथ ही यहां के लोगों के जीवनयापन को भी तबाह कर चुका है. आज इस इलाके में सिर्फ एक व्यक्ति प्रफुल्ल लेंका नियमित रूप से आते हैं. 2018 में लेंका का 6 सदस्यों वाला परिवार उन 571 लोगों में शामिल था, जिन्हें जिला प्रशासन ने बागपतिया में एक कॉलोनी में पुनर्वासित किया था. बिजली और साफ पानी नहीं होने के बावजूद, 40 साल के लेंका अपने 20 भैंसों को देखने यहां आते रहते हैं.

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अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, बचे रह गए 148 में से 118 परिवारों को पुनर्वास के लिए आदेश जारी किए गए हैं. साथ ही बाकी 30 परिवारों के लिए अब भी कागजी कार्रवाई हो रही है. पुनर्वासित होने वाले बाबू मल्लिक कहते हैं, “जमीन का एक प्लॉट और एक घर हमारे लिए बहुत कुछ है, जिसका हम लंबे समय से इंतजार कर रहे थे, लेकिन हमारी जिंदगियों और घरों को समंदर ने छीन लिया. यह पिछले 4 सालों में चौथी बार है जब हम अपना घर बदलेंगे.”

जमीन हुई बंजर, कमाई का जरिया खत्म
जिले के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (ADM) बसंत कुमार राउत ने कहा कि प्रशासन सभी परिवार को बीजू पक्का घर योजना के तहत घरों के निर्माण के लिए 10 डिसमिल जमीन और 1.5 लाख रुपए देगी. 2018 में पुनर्वास शुरू होने के बाद, सतभाया के अलावा दूसरे गांवों में रह रहे लोग समुद्री कटाव से अपने आप को बचाने के लिए विस्थापित होकर दूसरी जगहों पर किराए पर रह रहे हैं.

एक दशक पहले तक यहां के लोगों के लिए खेती और मछली पालन जीवनयापन का मुख्य जरिया थी. लेकिन समुद्र हर साल आगे बढ़कर घरों और खेतों को अपने में समाता गया और वहां की मिट्टी को भी खारा बनाता चला गया. जिससे कई एकड़ की जमीन बंजर हो चुकी है. यहां के कई सारे युवा केरल, गुजरात और तमिलाडु जैसे दूसरे राज्यों में रोजगार करने लगे हैं.

61 साल के प्रभाकर बहेरा कहते हैं, “करीब 6 साल पहले, मेरी 2 एकड़ की जमीन बंजर हो गई. पुनर्वास के बाद मेरा परिवार बगपतिया चला गया, लेकिन मैं यहां वापस आ गया क्योंकि हम सभी के लिए 10 डिसमिल प्लॉट पर रहना काफी मुश्किल है. मेरे बड़े बेटे ने केरल में प्लाईवुड फैक्ट्री में काम शुरू कर दिया है. मेरा छोटा बेटा भी पढ़ाई के बाद उसके साथ चला जाएगा.”

नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च की स्टडी के मुताबिक, 1990 से 2016 के बीच ओडिशा अपने 550 किलोमीटर समुद्री तट का 28 फीसदी हिस्सा खो चुका है. जिसमें सिर्फ केंद्रपाड़ा का 31 किलोमीटर हिस्सा खत्म हो चुका है. सतभाया आज पूरी तरह से एक आइलैंड बन चुका है. राशन या किसी भी चीज के लिए यहां बचे लोगों को 5 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.

Priya Tomar
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I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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