नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि 7 अक्तूबर, वीरवार से शुरू हो रहे हैं, जो 15 अक्तूबर, शुक्रवार को सम्पन्न होंगे। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग- अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस बार 8 दिन के नवरात्रि में मां भगवती डोली पर सवार होकर पधारेंगी। वीरवार व शुक्रवार को नवरात्रि का आरम्भ हो तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं। इस वर्ष नवरात्र आठ दिन के होंगे।
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नवरात्र की तिथियों का घटना व श्राद्ध की तिथियों का बढ़ना अशुभ है। अच्छा संकेत नहीं है। तृतीया और चतुर्थी दोनों एक ही दिन है। 9 अक्तूबर शनिवार को प्रात: 7.48 बजे तक तृतीया है। बाद में चतुर्थी प्रारंभ हो जाएगी। 15 अक्तूबर को दोपहर में दशमी है इसलिए दशहरा पूजन शुक्रवार को मनाया जाएगा। 7 अक्तूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.17 मिनट से सुबह 7.07 मिनट तक का है।
मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित किया जाना चाहिए। जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है वहां पर किसी बर्तन के अन्दर मिट्टी भरकर रखें या फिर ऐसे ही जमीन पर मिट्टी का ढेर बनाकर उसे जमा दें। यह मिट्टी का ढेर ऐसे बनाएं कि उस पर कलश रखने के बाद भी कुछ जगह बाकी रह जाए। कलश के ऊपर रोली अथवा कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांध दें।
इसके बाद कलश में थोड़ा गंगाजल डालें और बाकी शुद्ध पीने के पानी से कलश को भर दें। जल से भरे कलश के अंदर थोड़े से अक्षत (चावल), 2-4 दूर्वा घास, साबुत सुपारी और 1 या 2 रुपए का सिक्का डालकर चारों ओर आम के 4-5 पत्ते लगा दें। फिर मिट्टी या धातु के बने ढक्कन से कलश को ढंक दें।
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इस ढक्कन पर स्वस्तिक बनाना होगा। फिर उस ढक्कन पर थोड़े चावल रखने होंगे। एक नारियल पर लाल रंग की चुनरी लपेटें। इसे तिलक करें और स्वस्तिक बनाएं। नारियल को ढक्कन के ऊपर चावल के ढेर के ऊपर रख दें।
नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखें, चाहे आप किसी भी दिशा की ओर मुख करके पूजा करते हों।
दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें। कलश के नीचे बची जगह पर अथवा ठीक सामने जौ लगाना अच्छा होता है।
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