भुवनेश्वर/आईबीसी ब्यूरो : भगवान जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा 14 जुलाई से शुरू हो रही है,इस यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुरी का मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, देश के चार धामों में से एक इस मंदिर से जुड़ी बहुत सारी बातें ऐसी हैं जो लोगों को काफी हैरान करती हैं। ऐसी ही एक प्रथा है कि मंदिर के ऊपर लहराता ध्वज, जो कि रोजाना हर शाम को बदला जाता है।
जगन्नाथ मंदिर का ध्वज उल्टा लहराता है… अक्सर समुद्री तटों पर हवा समुद्र से जमीन की ओर बहती है लेकिन पुरी में हवा जमीन से समुद्र की ओर गति करती है और इसी कारण इस मंदिर के गुंबद पर ध्वज उल्टा फहरता है, जो कि अपने आप में एक हैरान कर देने वाली बात है।
800 सालों से इस मंदिर का ध्वज रोज बदला जाता है पिछले 800 सालों से इस मंदिर का ध्वज रोज बदला जाता है। ये 20 मीटर लंबा ध्वज है, जिसे की हर शाम चोला परिवार बदलता है, ये काम उनके परिवार वाले पिछले 800 सालों से करते आ रहे है। ध्वज को बदलने के पीछे कहा जाता है कि अगर मंदिर में ये रोज बदला नहीं गया तो मंदिर अचानक से अपने आप बंद हो जाएगा वो भी पूरे 18 सालों के लिए।
सुदर्शन चक्र का राज यही नहीं मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र है, जिसे किसी भी ओर से देखने पर मालूम पड़ता है कि उसका मुंह आपकी ओर है।
रथयात्रा पूरी दुनिया में मशहूर हैं… आपको बता दें कि भगवान श्री जगन्नाथजी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व है। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को तीन अलग-अलग दिव्य रथों पर नगर भ्रमण कराया जाता है। रथयात्रा मुख्य मंदिर से शुरू होकर 2 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर पर समाप्त होती है। जहां भगवान जगन्नाथ 7 दिन तक विश्राम करते हैं।