नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोविंड के चलते कई फ़िल्म निर्माताओ को अपनी फ़िल्में ओटीटी (OTT) पर रिलीज करनी पड़ रही हैं। विवान शाह और जोया अफरोज अभिनीत फ़िल्म कबाड़ द क्वाइन 17 मई को अग्रणी ओटीटी प्लेटफॉर्म एम एक्स प्लेयर पर प्रदर्शित होगी।
किराए की बाइक पर जल्द ही पर्यटक दिल्ली में कर सकते है सैर
निर्देशक वरदराज़ स्वामी द्वारा निर्देशित फ़िल्म कबाड़ द क्वाइन में मुख्य भूमिका में विवान शाह और जोया अफ़रोज़ के साथ ही अतुल श्रीवास्तव, अभिषेक बजाज, इमरान हसनी, भगवान तिवारी, यशश्री मसूरकर शहज़ाद अहमद महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नज़र आएँगे। वरदराज़ स्वामी ने कहा कि इस फ़िल्म का मुख्य आकर्षण विवान शाह हैं।
आज के समय में एक निर्देशक को विवान शाह जैसा अभिनेता मिलना बहुत ही सुखद संयोग हैं। एक कलाकार का ऐसे परिवार में जन्म हुआ हैं यहाँ अभिनय और कला की बातें माता पिता के रोज़ की ज़िंदगी का हिस्सा होती हैं तो वह प्रतिभाशाली कलाकार और भी अधिक निखरकर सामने आता है। विवान शाह ने खुद को साबित किया है।
देश में बेकाबू हुई कोरोना की दूसरी लहर, 80 प्रतिशत मामले इन 10 राज्यों में…
अभिनेता विवान शाह ने कहा कि “एक कबाड़ी वाले का किरदार निभाना बहुत ख़ास रहा। हम सब ने अपने रोजमर्रा के जीवन में सड़क पर हाथ गाड़ी खींचने वालों को देखा है। यह बहुत सामान्य लगता है ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। निर्देशक वरदराज स्वामी और लेखक शहजाद अहमद ने मुझे एक कबड्डीवाले की बारीकियों को समझने और अपनाने में बहुत सहायता की।
एम बी एन एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले निर्मित, फ़िल्म कबाड़ द क्वाइन के निर्माता बब्बन नेगी और मीरा नेगी हैं और सह निर्माता दीपक प्रजापत हैं। फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और संवाद संयुक्त रूप से शहज़ाद अहमद और वरदराज़ स्वामी के हैं। फ़िल्म में संगीत संदेश शांडिल्य ने दिया है।
निर्माता बब्बन नेगी ने कहा, “कबाड़ द क्वाइन एक ज़रूरी फ़िल्म है जो समाज को नयी दिशा देने वाली फ़िल्म है। सबसे ख़ास बात यह है कि मनोरंजक तरीक़े से फ़िल्म एक बहुत इंपोर्टेंट संदेश भी देती है। फिल्म के निर्देशक वरदराज़ ने बहुत ही रोचक अंदाज में एक जरूरी बात फ़िल्म के माध्यम से कही है। हमें पूरा विश्वास है कि दर्शकों को यह फ़िल्म बहुत पसंद आएगी।”
अभिनेता विवान शाह ने कहा, “मेरे लिए एक कबाड़ी वाले का किरदार निभाना बहुत ख़ास रहा। हम सब ने अपने रोजमर्रा के जीवन में सड़क पर हाथ गाड़ी खींचने वालों को देखा है। यह बहुत सामान्य लगता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। निर्देशक वरदराज स्वामी और लेखक शहजाद अहमद ने मुझे एक कबाड़ी वाले की बारीकियों को समझने और अपनाने में बहुत सहायता की।
इसके अलावा हम तीनों ने मुंबई की टपोरी भाषा का भी प्रयोग करके काफी एंजॉय किया। मुझे टपोरी भाषा का आनंद लेना था क्योंकि इस भाषा को मैं अपने दोस्तों के साथ बोलते हुए बड़ा हुआ हूं। एक ऐसे किरदार को निभाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, जो मेरे अनुभव के दायरे से बाहर था। वरदराज स्वामी सबसे प्रतिभाशाली निर्देशकों में से एक हैं, उनके साथ काम करना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है और वो नए जमाने के फिल्म निर्देशक हैं।” कबाड़ द कॉइन पैसे की ह्यूमन साइकोलॉजी है जो कि लव रोमांस, छल, फरेब कई तरह की भावनाओं को बयाँन करती है।