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Friday, March 29, 2024

Odisha Forest Fire: मुख्यमंत्री पटनायक ने की स्थिति की समीक्षा, दिए आवश्यक निर्देश

नई दिल्ली। ओडिशा (Odisha) के मयूरभंज जिले में भारत के सबसे बड़े जीवमंडल भंडार सिमिलीपाल नेशनल पार्क (Similipal National Park) में पिछले 11 दिनों से जंगलों में भीषण आग लगने के बाद भी राज्य के वन विभाग ने स्थिति को नियंत्रण में नहीं लिया है, वहीं आग लगातार बेकाबू होती जा रही है। इसी कड़ी में आज मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सिमिलीपाल नेशनल पार्क जाकर स्थिति की समीक्षा कर अधिकारियों को आग पर काबू पाने के निर्देश दिए हैं।

वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने सिमिलिपाल नेशनल पार्क में लगी आग को रोकने के लिए स्थिति की समीक्षा कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। इससे पहले ओड़िशा सरकार ने बुधवार को स्थिति की जांच पड़ताल करने के लिए एक उच्च स्तरीय दल भेजा था।

Odisha Forest Fire: प्रकाश जावड़ेकर ने अधिकारियों को आग पर काबू पाने का दिया निर्देश

जावड़ेकर ने आग पर काबू पाने के आदेश दिए

इससे पहले केंद्रीय वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।

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आपको बता दें कि सिमिलिपाल में जंगल की आग को खतरनाक बताते हुए, प्रधान ने जावड़ेकर और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से हस्तक्षेप की मांग की थी। इस साल, गर्मियों की शुरुआत में जंगल की आग की स्थिति बढ़ गई है और आधिकारिक स्रोतों से जाना, घटना पिछले वर्षों की तुलना में अधिक है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच ओडिशा में आग लगने की 195 बड़ी घटनाएं हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले सात दिनों में राज्य में 7,300 से अधिक जंगल की आग दर्ज की गई हैं।

इस बीच, वन विभाग ने अपने जंगल की आग को कम करने के उपाय तेज कर दिए हैं। स्थिति से निपटने के लिए डिप्टी रेंजर के नेतृत्व में 21 स्क्वॉड को पांच डिवीजनों-नॉर्थ और साउथ एसटीआर (वाइल्डलाइफ) के अलावा बारीपदा, रायरंगपुर और करंजिया (प्रादेशिक) के प्रत्येक रेंज के लिए 21 स्क्वॉड का गठन किया गया है।

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वन एवं पर्यावरण मंत्री बीके अरूखा ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रधान वन मुख्य संरक्षक (वन्यजीव) को सिमिलीपाल जाने को कहा है। वहीं उप निदेशक एसटीआर जगनदत्त पति के अनुसार,आग स्थानीय लोगों द्वारा जंगली जानवरों को शिकार करने और महुआ इकट्ठा करने के लिए लगाई जा सकती थी। आदिवासियों में इस तरह की प्रथाओं से दूर रहने के लिए जागरूकता फैलाने के लिए ग्राम-स्तरीय बैठकें आयोजित की जा रही हैं।

फिलहाल वन विभाग ने अपने कर्मियों को तैनात किया है और आग की लपटों को नियंत्रण में लाने के लिए कई जंगल की कटाई के उपाय अपनाए हैं। कार्मिकों को पर्याप्त वाहन, ईंधन, अग्निशामक, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) के उप निदेशक (डीडी) जगनदत्त पाटी ने कहा, इसके अलावा, आग के दस्ते की टीमों को विशेष रूप से जंगल की आग के दौरान बचाव अभियान चलाने के लिए आरक्षित किया गया।

Priya Tomar
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I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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