नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और CISE की 12वीं कक्षा की परीक्षा को रद्द करने की याचिका को ख़ारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार और बोर्ड दोनों ही छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित है। इसलिए इस परीक्षा को रद्द करने का फैसला लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर 20 लाख बच्चे परीक्षा में बैठेंगे तो इस के लिए संसाधन का भी इंतजाम करना होगा। इस का जिम्मा कौन उठाएगा ?
CBSE के छात्र पहुंचे Supreme Court, मार्किंग स्कीम पर उठाएं सवाल
CBSE और CISE की स्कीम पर SC की मुहर
बता दे CBSE और CISE कि तरफ से पेश की गई स्कीम पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। कौर्ट ने कहा कि ये फैसला बड़े जनहित को देख कर लिया गया है। ये स्कीम सही और वाजिब है और अदालत को इसमें दखल देने का कोई कारण नहीं दिख रहा है।
छात्रों की दलील
बता दे देश भर के साढ़े ग्यारह सौ से ज्यादा छात्रों ने वकील मनु जेटली के जरिए दाखिल अपनी याचिका में कंपार्टमेंट, पिछले कई सालों से पास होने की उम्मीद में इम्तिहान देने वाले, पत्राचार से बारहवीं करने वाले, ड्रॉप आउट, प्राइवेट छात्रों के लिए भी नीति बनाने की मांग की है।
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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि परीक्षा तो रखी गई है। यदि आप उपस्थित होना चाहते हैं तो आप हो सकते हैं यदि आप परीक्षा देने के इच्छुक हैं तो आप दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम परीक्षा रद्द करने के निर्णय का समर्थन कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और CICSE बोर्ड की 12वीं की परीक्षा के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये मांग संभव नहीं है और इससे अनिश्चितता फैलेगी।
CBSE का ऐलान-12वीं के रिजल्ट का ये होगा मापदंड !
बता दे कि बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा के परिणाम का मापदंड प्रस्तुत करते हुए बताया था कि 12वीं कक्षा के नतीजों का मुल्यांकन 12वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा के परिणाम से 40 प्रतिशत तो वहीं 10वीं और 11वीं कक्षा के नतीजों से 30-30 प्रतिशत अंक जुटाएं जाएंगे। बोर्ड ने 12 वीं के नतीजों में पिछली परीक्षाओं को भी अहमियत देने का फैसला लिया है।