सेक्स वर्क भी है एक रोजगार – सुप्रीम कोर्ट वेश्यावृत्ति गैरकानूनी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है कि वेश्यावृत्ति भी एक प्रशासन है ऐसे में अगर अपनी मर्जी से इस पेशे में आने वाली लड़कियां काम करते हैं तो उन्हें भी सामान्य जीवन जीने का हक है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कौन के खिलाफ कार्यवाही ना करने के निर्देश दिए हैं सिर्फ अदालत ने इस मामले को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पुलिस को भी कई सारे निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब है कि अब पुलिस सेक्स वर्कर के काम में साधारण परिस्थितियों में बाधा नहीं डाल सकती है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसका फैसला केंद्र सरकार से भी मांगा है जिसकी सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेश्यावृत्ति गैरकानूनी नहीं है बल्कि एक प्रोफेशन है जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली जेसीबी और गवाही और जस्टिस एस बोपन्ना की तीन जजों की बेंच ने कहा वेश्यावृत्ति पैसा है और कानून के तहत और सामान सुरक्षा के हकदार है। इसके साथ ही कोडिंगा की सेक्स वर्कर्स कानून के समान संरक्षण के भी हकदार है जो वह स्पष्ट हो जाएगा कि सेक्स वर्कर एडल्ट है और सहमति से वेश्यावृत्ति में है तो पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कार्यवाही करने की कोई जरूरत नहीं है उन्हें कोई भी अपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के आर्टिकल 21 के तहत सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि वेश्यावृत्ति गलत नहीं है लेकिन वेश्यालय चलाना गलत माना जाएगा ।