नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में दरार पड़ने के संकेत मिल रहे हैं और समझा जा रहा है कि उसके छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने चिराग पासवान (Chirag Paswan) को संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता के पद से हटाने और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को इस पद पर चुनने के लिए हाथ मिला लिया है। सूत्रों ने बताया कि सांसदों के इस समूह ने लोकसभा अध्यक्ष को अपना यह निर्णय बता दिया है। हालांकि चिराग पासवान या असंतुष्ट खेमे की ओर से इस संदर्भ में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
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क्यूं नाराज है चिराग के चाचा पारस
चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की मृत्यु के बाद से खुद पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का फैसला लेने के बाद एलजेपी की बुरी हार हुई। इस हार के बाद से पशुपति पारस और नाराज हो गए, और उन्हें ऐसा लगने लगा कि पार्टी में उन्हें कम अहमियत दी जा रही है। पशुपति पारस ने कहा पार्टी में कुछ ऐसे लोग है जिसकी वजह से पार्टी की ये स्थिति हो गई है। क्योंकि एक शख्स की वजह से पूरी पार्टी परेशान थी। सांसदों का भी कोई वैल्यू नहीं था। पशुपति पारस की भाषा में कहें तो अकेला वह असमाजिक तत्व ने लोजपा को तबाह कर दिया था।
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पार्टी तोड़ा नहीं.. बल्कि टूटने से बचाया
एलजेपी में फूट की खबरें आने के बाद पार्टी के सांसद पशुपति कुमार पारस ने खुलकर अपनी बात रखी। पारस ने बताया कि उन्होंने पार्टी को तोड़ा नहीं बल्कि टूटने से बचाया है। पशुपति पास ने कहा चिराग पासवान चाहें तो पार्टी में रह सकते है। उन्होंने कहा पिछले साल हमारे भैया रामविलास पासवान का निधन हुआ, उससे पहले करीब 20 साल तक उनके नेतृत्व में पार्टी बहुत बढ़िया तरीके से चल रही थी। लेकिन पिछले एक साल से कुछ असामाजिक तत्वों ने आकर हमारी पार्टी में सेंध लगाई और पार्टी में दरार पैदा करने की कोशिश की। इसका नतीजा ये हुआ कि बिहार में एनडीए गठबंधन कमजोर हुआ ही, साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी बिल्कुल समाप्ति के कगार पर आ गई है।
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बागियों के पास क्या है विकल्प
नाराज लोजपा सांसदों का समूह अपनी अलग पार्टी बना सकते है, सूत्रों ने बताया कि सांसदों के इस समूह ने लोकसभा अध्यक्ष को अपना यह निर्णय बता दिया है। हालांकि उनके करीबी सूत्रों ने जनता दल (यूनाइटेड) को इस बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पार्टी लंबे समय से लोजपा अध्यक्ष को अलग-थलग करने की कोशिश कर रही थी। क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जाने के चिराग के फैसले से सत्ताधारी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा था।
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पशुपति पारस ने की नीतीश की तारीफ
पशुपति पारस ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें एक अच्छा नेता तथा विकास पुरुष बताया है। जिससे अब पार्टी में एक बड़ी दरार उजागर हो गई क्योंकि पारस के भतीजे चिराग पासवान जद (यू) अध्यक्ष के धुर आलोचक रहे हैं। हाजीपुर से सांसद पारस ने कहा, ‘‘ मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है। उन्होंने कहा कि लोजपा के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू के खिलाफ पार्टी के लड़ने और विफल रहने से काफी नाखुश हैं। पारस ने कहा कि उनका गुट भाजपा नीत राजग सरकार को हिस्सा बना रहेगा और पासवान भी संगठन का हिस्सा बने रह सकते हैं।
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आपको बता दें कि असंतुष्ट सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं। 2020 में पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद कार्यभार संभालने वाले चिराग अब पार्टी में अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं।