नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने हर तरफ कोहराम मचा रखा है। हर कोई इस समस्या से परेशान है। एक तरफ शहरों की हालात गंभीर है, और दूसरी तरफ गांवों की हालात भी खराब है। सरकार पूरी कोशिश कर रही है परंतु देश की हालात सही नहीं है। राजधानी दिल्ली के आस-पास जो गांव में उनकी हालात बहुत ही गंभीर है, यहां लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रहे है परंतु कोई सेवा मिल नहीं रही है। और हर दिन लोग मर रहे है।
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हम आपको बता दे कि, हरियाणा सीमा सटे से दिल्ली के गांवों में स्वास्थ्य सेवा के लिए कंझावला में पीएचसी करीब 50 साल पहले बनाया गया था। यहां मरीजों को भर्ती करने के अलावा आपातकालीन सेवा भी उपलब्ध थी। गंभीर मरीजों को दिल्ली के बड़े अस्पतालों में भेजने के लिए एंबुलेंस की भी व्यवस्था थी। डॉक्टरों, नर्सों एवं अन्य स्टाफ के रहने के लिए मकान भी बनाए गए थे। यहां दो-तीन दर्जन गांवों के लोग इलाज कराने के लिए आते थे। हालत खराब होने पर वे भर्ती भी होते थे।
वहीं ऐसे में यहां की बिल्डिंग जर्जर होने पर उसे तोड़कर नई बनाने के साथ ही न तो वह स्वास्थ्य सेवा रही और न ही पीएचसी रहा। अब यहां पॉली क्लीनिक है। इसमें न मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था है और न ही आपातकालीन सेवाएं। यहां गंभीर मरीज आने या फिर किसी मरीज की हालत गंभीर होने पर उसे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं है।
ऐसे में गांवो में जब कोरोना महामारी ने कोहराम मचाया तो यहां लोगों को कई सारी दिक्कतें हुए। वहीं हरियाणा सीमा सटे से दिल्ली के गांवों में स्वास्थ्य सेवा के लिए कंझावला में पीएचसी करीब 50 साल पहले बनाया गया था। यहां मरीजों को भर्ती करने के अलावा आपातकालीन सेवा भी उपलब्ध थी।
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गंभीर मरीजों को दिल्ली के बड़े अस्पतालों में भेजने के लिए एंबुलेंस की भी व्यवस्था थी। डॉक्टरों, नर्सों एवं अन्य स्टाफ के रहने के लिए मकान भी बनाए गए थे। यहां दो-तीन दर्जन गांवों के लोग इलाज कराने के लिए आते थे। हालत खराब होने पर वे भर्ती भी होते थे।