नई दिल्ली। 16 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण बैशाख शुक्ल की पूर्णिमा तिथि पर लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। ग्रहण के अच्छे और बुरे दोनों तरह के प्रभाव होते हैं क्योंकि यह भारत में नहीं दिखेगा इसलिए यह चंद्र ग्रहण का सूतक 16 मई। यानी कल भारत में मान्य नहीं होगा।
ज्योतिषाचार्यों की ज्योतिषीय गणना के आधार पर इस बार चंद्र ग्रहण पर ग्रहों और नक्षत्रों का ऐसा संयोग बना है जो पिछले 80 साल पहले बना था। इस बार चंद्र ग्रहण विशाखा नक्षत्र और परिघ योग में बन रहा है। इसके अलावा चंद्र ग्रहण के दौरान गुरू और शनि देव अपनी स्वराशि में मौजूद रहेंगे। यह ग्रहण वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा, विशाखा नक्षत्र और वृश्चिक राशि में लग रहा है।
चंद्र ग्रहण एक प्रकार का खगोलीय घटनाक्रम है। सूर्य और चंद्रमा के बीच एक समय ऐसा आता है जब पृथ्वी बीच में आ जाती है तब कुछ देर के लिए ऐसी स्थिति बन जाती है कि चंद्रमा के ऊपर सूर्य की चमक आनी बंद हो जाती है। इससे चंद्रमा दिखाई नहीं पड़ता है, इसे ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण,आंशिक चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण।
खैर इसको लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) इस आकाशीय घटना का सीधा प्रसारण करेगा। नासा ने यह जानकारी ट्वीट के जरिए दी है। वहीं आपको बता दे कि साल 2022 में दो चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है। 8 नवंबर को साल का अंतिम और दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा।
भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। धार्मिक नजरिए से सूतक काल को अशुभ माना जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल का समय ग्रहण के शुरू होने के 9 घंटे पहले लग जाता है। सूतककाल के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है ऐसी मान्यताएं पौराणिक काल से चली आ रही है।
ऐसी मान्यता है कि चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण पर गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए अपशकुन और नुकसानदेह साबित हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र से निकल रही किरणों से गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक असर पड़ता है और इससे बच्चे में कई तरह की शारीरिक विकृतियां पैदा हो सकती हैं।