नई दिल्ली। कुछ चीजें ऐसी भी होती है जो कि हर किसी की समझ के बाहर होती है। कई बार ऐसा होता है कि लोगों को समझ नहीं आता है कि ऐसा कैसे हो सकता है। इस बार तो कुछ ऐसी स्थिति आ गई है कि साइंटिस्ट (Scientists) भी परेशान हो गए है। बात कर रहे है हम धरती की, धरती बहुत तेजी से घूम रहीं है। 24 घटें की जगह उससे पहले ही अपना चक्कर पूरा कर ले रही है, इसके चलते वैज्ञानिक (Scientists) भी परेशान है और ये बदलाव पिछले साल ही आया है।
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ब्रिटिश वेबसाइड (British website) से पता चला है कि पिछले कई दशकों से धरती 24 घंटो में अपना चक्कर पूरा करती थी। परंतु पिछले साल जून से 24 घंटे का कम समय लेकर धरती (Earth) अपना एक चक्कर पूरा कर ले रही है। धरती इस समय 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकेंड कम समय लेकर घूम रही है। यानी हमारे 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकेंड कम हो चुके हैं। 24 घंटे में 86,400 सेकेंड्स होते हैं, यानी इतने सेकेंड में हमारी धरती एक चक्कर पूरा करती है। लेकिन पिछले साल जून से 86,400 सेकेंड में 0.5 मिलीसेकेंड की कमी आ गई है। 19 जुलाई 2020 का दिन 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकेंड कम था।
इस सबके चलते वैज्ञनिकों (Scientists) को काफी दिक्कत हो रही है। और समय (time)भी कई देशों का बदल जाता है जो कि सही नहीं है। वैज्ञनिकों को अपनी-अपनी जगहों पर मौजूद एटॉमिक क्लॉक का समय बदलना पड़ेगा। यानी इस बार साइंटिस्ट्स को निगेटिव लीप सेकेंड अपनी-अपनी घड़ियों में जोड़ना पड़ेगा। साल 1970 से अब तक कुल मिलाकर 27 लीप सेकेंड जोड़े जा चुके हैं।
पेरिस स्थित इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन सर्विस और शनल फिजिकल लेबोरेटरी के सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट पीटर व्हिब्बर्ली से इस बारें में जब बात-चीत हुई तो उनका कहना है कि बात तो सही है कि धरती कुछ ज्यादा ही तेजी से घूम रहीं है जिसके चलते धरती (Earth) पर रहे लोगों को समय के साथ चलने के लिए निगेटिव लीप सेकेंड जोड़ना पड़ेगा।