नई दिल्ली: भारत के लिये दूसरा ओलंपिक (Tokyo Olympics) पदक पक्का करने वाली मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने शुक्रवार को कहा कि तोक्यो खेलों के क्वार्टरफाइनल में वह कोई रणनीति बनाकर नहीं उतरी थी बल्कि रिंग के अंदर की परिस्थितियों के हिसाब से खेली थी क्योंकि चीनी ताइपे की मुक्केबाज से वह पहले चार बार हार चुकी थीं। लवलीना ने पूर्व विश्व चैम्पियन नियेन चिन चेन को 4-1 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश भारत के लिये इन खेलों में दूसरा पदक पक्का कर दिया।
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हार का बदला लिया- लवलीना
असम की 23 वर्ष की मुक्केबाज का सामना मौजूदा विश्व चैम्पियन तुर्की की बुसानेज सुरमेनेली से होगा। लवलीना ने तोक्यो से वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘मैं उससे चार बार हार चुकी थी। खुद को साबित करना चाहती थी। मुझे लगा यही मौका है, अब मैं चार बार हारने का बदला लूंगी।’’ किस रणनीति के साथ रिंग में उतरी थीं, इस पर उन्होंने कहा,‘‘कोई रणनीति नहीं थी क्योंकि प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज इससे पकड़ सकती थी। इसलिये मैंने सोचा कि रिंग में ही देखूंगी और वहीं परिस्थितियों के हिसाब से खेलूंगी। मैं खुलकर खेल रही थी।’’ यह युवा मुक्केबाज कई परेशानियों से जूझने के बाद यहां अपने पहले ओलंपिक तक पहुंची है, लेकिन अभी उनका इरादा कुछ भी सोचकर ध्यान भटकाने का नहीं है।
उन्होंने कहा,‘‘पहली बात तो मैं अभी कुछ ज्यादा नहीं सोच रही हूं। मुझे कांस्य पदक पर नहीं रूकना। खुद को साबित करके दिखाना था, मैंने यहां तक पहुंचने के लिये आठ साल मेहनत की है।’’ अगले मुकाबले के बारे में उन्होंने कहा,‘‘मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक है। पदक तो एक ही होता है। उसके लिये ही तैयारी करनी है। सेमीफाइनल की रणनीति बनानी है।’’ यह पूछने पर कि वह इतनी निडर मुक्केबाज कैसे बनी तो लवलीना ने कहा, ‘‘मैं पहले ऐसी नहीं थी। डर डर कर खेलती थी। कुछ टूर्नामेंट में खेलकर धीरे धीरे डर खत्म हुआ। रिंग में उतरने से पहले भी डरती थी। लेकिन फिर खुद पर विश्वास करने लगी, लोग कुछ भी कहें, अब फर्क नहीं पड़ता जिससे निडर होकर खेलने लगी।’’ वह खुद में सुधार के लिये ‘स्ट्रेंथ कंडिशङ्क्षनग’ को भी अहम मानती हैं,
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‘मोहाई थाई’ से हुई शुरुआत
लवलीना ने अपने करियर की शुरूआत मार्शल आर्ट ‘मोहाई थाई’ से की थी जिसमें उनकी दोनों बहनें कई राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी हैं। तो क्या इससे उन्हें मुक्केबाजी में कुछ फायदा मिला। इस पर लवलीना ने कहा, ‘‘कोई फायदा नहीं मिला। एक ही साल सीखा था। आज उसकी वजह से जीती हूं, यह नहीं बोल सकती। मोहाई थाई में जो कुछ सीखा था, उससे मैं राष्ट्रीय चैम्पियन भी बनी थी।’’