नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी जितनी अच्छी है उतनी ही खतरनाक है इस बात से कोई अनजान नही है। बैसे भी हर चीज के दो पहलू होते है और इसके बाद हर एक व्यक्ति के ऊपर है कि कौन उसका कैसा उपयोग करता है। फोन और सिस्टम को लेकर हर बार खबर सुनने में आती रहती है कि इस फोन का डेटा चोरी हो गया है या फिर इस एप का डेटा चोरी हो गया है।
व्हाट्सएप में आया बड़ा बग, जानें क्या है ये और कैसे करता है काम
इसी तरह फिलहाल खबर आई है कि सभी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां अपने फोन के साथ हाई लेवल की सिक्योरिटी का दावा करती हैं लेकिन एक रिसर्च में स्मार्टफोन की सिक्योरिटी को लेकर होने वाले सभी दावे फेल हो गए हैं। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रत्येक 10 में से 4 स्मार्टफोन को हैकर्स आराम से हैक कर सकते हैं। यह दावा सिक्योरिटी फर्म चेकप्वाइंट ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है।
रिपोर्ट में ऐसा कहा जा रहा है कि, साल 2020 में दुनिया के 97 फीसदी संस्थाओं पर मोबाइल साइबर अटैक हुए हैं और 46 फीसदी संस्थाओं के कम-से-कम एक कर्मचारी ने वायरस वाले एप को अपने फोन में डाउनलोड किया है। वर्क फ्रॉम होम ने हैकर्स का काम आसान कर दिया है। इसके अलावा ऐसा कहा जा रहा है कि दुनिया के 40 फीसदी स्मार्टफोन के चिपसेट में कमियां हैं जिसका फायदा उठाकर हैकर्स फोन को हैक कर सकते हैं। साल 2020 में बैंकिंग ट्रोजन में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है जिसके कारण लोगों के बैंक की निजी जानकारी चोरी हुई है।
Tech News: डुअल स्क्रीन से लैस इस फोन पर मिल रही है 40 हजार की छुट
फिलहाल तो COVID-19 के कारण वर्क फ्रॉम होम में इजाफा हुआ है और साल 2024 तक 60 फीसदी कामगार मोबाइल पर शिफ्ट हो जाएंगे यानी इनका अधिकतर काम स्मार्टफोन के जरिए ही होगा। रिपोर्ट के मुताबिक मैलवेयर फैलाने के लिए इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट (MDM) सिस्टम का इस्तेमाल हुआ है जिसके जरिए 75 फीसदी मोबाइल डिवाइस को मैनेज किया गया है।