नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शरणार्थी वोट पर नजर रखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को 25,000 शरणार्थी परिवारों को भूमि के अधिकार प्रदान किए और कहा कि कुल 1.25 लाख परिवारों को भूमि के अधिकार दिए जाएंगे।
इस बारे में बनर्जी ने करीब एक साल पहले घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि संपत्ति के अधिकार को लेकर कोई शर्त नहीं लगायी जाएगी। बनर्जी ने मतुआ विकास बोर्ड और नामशुद्र विकास बोर्ड के लिए क्रमश: 10 करोड़ रुपये और पांच करोड़ रुपये आवंटित किए।
उन्होंने सचिवालय में एक कार्यक्रम में कहा, ‘आज हम 25,000 शरणार्थियों को भूमि अधिकार के कागजात दे रहे हैं। आगामी दिनों में 1.25 लाख शरणार्थी परिवारों को भूमि के अधिकार दिए जाएंगे।’ उन्होंने कहा, ‘भूमि अधिकार के ये कागजात सबूत के तौर पर काम करेंगे कि आप इस देश के नागरिक हैं। आपकी नागरिकता कोई नहीं ले सकता।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में मतुआ और नमशुद्र के विकास के लिए निरंतर काम कर रही है। मुख्यमंत्री विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों, लोक कलाकारों के साथ बात कर रही थीं जहां उन्होंने औपचारिक तौर पर शरणार्थियों को भूमि के कागजात सौंपे। बनर्जी ने कहा कि वह शरणार्थियों को दिए जाने वाले ‘पट्टे’ के लिए तबसे काम कर रही थीं जब वह 1980 के दशक में जाधवपुर से कांग्रेस की सांसद थीं।
बनर्जी ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कि जिन लोगों को राज्य की हकीकत पता नहीं है वे बस चुनाव के पहले यात्रा करते हैं और लोगों को बेवकूफ बनाने का प्रयास करते हैं। बनर्जी ने कहा, ‘अचानक से उन्हें (भाजपा) मतुआ का मुद्दा याद आया है। चुनाव के पहले वे बड़े- बड़े वादे करते हैं। आपको पता है कि हम कब से इसके लिए काम कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हमने मतुआ विकास बोर्ड और नमशुद्र विकास बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये और पांच करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। हम बागडी, महजी और दुले समुदायों के लिए भी कोष आवंटित करेंगे।’ उन्होंने कहा कि राज्य में बागडी, महजी और दुले समुदाय के 30 लाख से ज्यादा सदस्य हैं।
राज्य सरकार ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है जब केंद्रीय मंत्री और भाजपा के शीर्ष नेता अमित शाह राज्य के दो दिवसीय दौरे पर आने वाले हैं।