नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा यह ख़ुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूँ। तीनों नए डायलॉग partners – साऊदी अरब, Egypt और क़तर – का भी स्वागत करता हूँ।
पीएम मोदी ने कहा, हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है। इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरवाद है। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम में इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर SCO को पहल कर कार्य करना चाहिए।
एससीओ शिखर सम्मेलन में आगे पीएम मोदी ने कहा, भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि भूमि से घिरे हुए मध्य एशिया के देशों को भारत के विशाल बाजार से जुड़कर अपार लाभ हो सकता है।
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संबोधन में पीएम मोदी की कहीं मुख्य बातें
- कनेक्टिविटी की कोई भी पहल one-way street नहीं हो सकती। आपसी trust सुनिश्चित करने के लिए connectivity projects को consultative, पारदर्शी और participatory होना चाहिए। इनमें सभी देशों की टेरीटोरियल इंटीग्रिटी का सम्मान निहित होना चाहिए: PM मोदी
- भारत में और SCO के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी moderate, tolerant और inclusive संस्थाएं और परम्पराएँ हैं। SCO को इनके बीच एक मजबूत network विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। इस सन्दर्भ में मैं SCO के RATS mechanism द्वारा किये जा रहे उपयोगी कार्य की प्रशंसा करता हूँ: PM मोदी
- यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive cultures और values का गढ़ रहा है। सूफ़ीवाद जैसी परम्पराएँ यहाँ सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं: PM
- SCO की 20वीं वर्षगाँठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर है। मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियाँ शांति, सुरक्षा और trust-डेफिसिट से संबंधित है। और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ radicalisation है। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है: PM
- इस साल हम SCO की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह ख़ुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूँ। मैं तीनों नए डायलॉग partners – साऊदी अरब, Egypt और क़तर – का भी स्वागत करता हूँ: PM
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SCO क्या है?
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) को बनाने का एलान 15 जून 2001 को हुआ था। शंघाई चीन का शहर है, तब एससीओ में छह देश शामिल थे- किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान। 2017 में भारत और पाकिस्तान भी शामिल हो गए। इसके साथ ही इसके सदस्यों की संख्या आठ हो गयी।