नई दिल्ली। आज भारतीय एक्सचेजों में क्रिप्टोकरेंसीज (Cryptocurrency) में भारी गिरावट देखी गई। बुधवार सुबह 10.20 के आसपास wazirx.com पर बिटकॉइन (Bitcoin) करीब 11 फीसदी की गिरावट के साथ 40,40,402 रुपये पर, Shiba Inu (SHIB) करीब 17 फीसदी की गिरावट के साथ 0.002900 रुपये पर, टीथर (USDT) करीब 12 फीसदी की गिरावट के साथ 70.50 रुपये पर, ETH (Ethereum) करीब 9 फीसदी की गिरावट के साथ 3,03,849 रुपये पर और डॉजकॉइन करीब 11 फीसदी की गिरावट के साथ 15.83 रुपये पर चल रहा था। अचानक इतने बड़े पैमाने पर पैदा हुए डर की वजह क्या है? आइए जानते हैं…
संसद के शीतकालीन सत्र में Cryptocurrency संबंधी विधेयक पेश करेगी सरकार!
विधेयक आने की खबर से भूचाल
दरअसल, संसद के शीतकालीन सत्र में डिजिटल करेंसी (Cryptocurrency) पर एक विधेयक पेश किए जाने की खबर मंगलवार देर रात सामने आई। इसमें कहा गया है कि सरकार ने देश में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को प्रतिबंधित करने का कानून लाने का मन बना लिया है। यह खबर आते ही निवेशकों में भगदड़ मच गई।
लोकसभा बुलेटिन से मची खलबली
29 नवंबर से संसद के आगामी सत्र की शुरुआत होगी। बीती रात जारी लोकसभा बुलेटिन में उन 26 नए विधेयकों की लिस्ट प्रकाशित की गई है जिन्हें इस सत्र में विचार के लिए रखा जाएगा। इस लिस्ट में 10वें नंबर पर ‘द क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ भी शामिल है।
सरकारी डिजिटल करेंसी पर विचार
इस बिल में देश में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के नाम के आगे दी गई संक्षिप्त जानकारी में इस विधेयक लाने का मकसद बाया गया है। इसमें कहा गया है, ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल करेंसी बनाने के लिए मददगार ढांचा तैयार करना।’
पाबंदी के प्रस्ताव ने उड़ाई नींद
यहां तक तो ठीक है, लेकिन अगली पंक्ति में जो कहा गया है, उसने निवेशकों की नींद उड़ा दी। इसमें कहा गया है, ‘विधेयक में भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि, इसमें क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और इनके इस्तेमालों की कुछ अंतर्निहित तकनीक को बढ़ावा देने के कुछ अपवाद भी होंगे।’
कानून बनने का डर
स्पष्ट है कि, अगर भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को रेग्युलेट करने का यह विधेयक संसद से पारित हो गया तो बिटकॉइन जैसी करेंसी में निवेश करना गैर-कानूनी हो जाएगा। यह प्रावधान निश्चित तौर पर निवेशकों का हौसला तोड़ने के लिए काफी है। जो लोग डिजिटल करेंसी में निवेश के जरिए दिन-दूनी, रात-चौगुनी कमाई करने का सपना देख रहे थे, उनके सपने का आधार ही खत्म हो गया। स्वाभाविक है कि पाबंदी का रास्ता तैयार होते ही निवेशक डिजिटल करेंसी में लगा पैसा निकालने पर तुल गए, जिसका असर क्रिप्टो एक्सचेंजों पर दिखा।
डर के ये कारण भी
निवेशकों का डर बढ़ने के और भी कारण हैं। मसलन, जब से खबर आई कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के रेग्युलेशन के लिए कानून लाएगी, तब से इसकी रूपरेखा को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर स्थिति स्पष्ट करने से बचती रही। अगस्त महीने में जब विधेयक को कैबिनेट की स्वीकृति दिलाने के लिए पेश किया गया था तब भी मीडिया ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से इसके डीटेल को लेकर सवाल पूछे थे, लेकिन मंत्रालय बिल्कुल चुप रहा।
सवालों पर सरकारी चुप्पी
जब यह पूछा गया कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में निवेश पर बंपर फायदा कमाने का विज्ञापन आ रहा था और लोगों ने निवेश कर दिए तो अब उसका पैसा डूब गया। इसका जिम्मेदार कौन होगा, तब भी सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। सरकार के इस रवैये से भी निवेशक डरे हुए हैं। जैसे ही विधेयक की खबर आई, उनका डर बढ़ गया और वो बेचैन हो उठे।
सरकार के रुख का दिखा असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने 13 नवंबर को रिजर्व बैंक के शीर्ष अधिकारियों के साथ-साथ गृह और वित्त मंत्रालय के साथ इस मामले पर चर्चा की। यह आम सहमति बनी कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में निवेश के जरिए बंपर कमाई का लालच और अपारदर्शी विज्ञापनों के जरिए युवाओं को बरगलाने के प्रयासों को कड़ाई से रोका जाए। उसी मीटिंग में यह भी कहा गया कि क्रिप्टो मार्केट मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग का भी प्लैटफॉर्म बन सकते हैं।
गंभीर सवालों के नहीं मिले जवाब
बीते सोमवार को भी वित्तीय मामलों की स्थाई समिति के साथ क्रिप्टो करेंसी से जुड़े विभिन्न पक्षों और इस उद्योग के प्रतिनिधियों की मीटिंग हुई। इसमें सभी ने क्रिप्टो मार्केट को रेग्युलेट करने की जरूरत बताई, लेकिन जब समिति के सदस्यों ने उनसे कुछ गंभीर सवाल किए तो किसी के पास कोई जवाब नहीं था। इससे क्रिप्टो इंडस्ट्री के देश विरोधी गतिविधियों में मददगार बन जाने की आशंका मजबूत होती है।
निवेशकों के लिए विकल्प भी
हालांकि, विधेयक में डिजिटल करेंसी में निवेश के शौकीनों के लिए थोड़ी सी राहत भी दी गई है। उनके लिए सरकारी डिजिटल करेंसी का विकल्प लाने का आश्वासन दिया गया है। आरबीआई की डिजिटल करेंसी का रास्ता तैयार करने के लिए विधेयक में ‘डिजिटल करेंसी की अंतर्निहित तकनीक और इसके उपयोगों को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों को अनुमति दिए जाने’ का भी प्रस्ताव किया गया है।
यानी, अगर किसी को डिजिटल करेंसी में बेहतर भविष्य दिख रहा है तो वो बिटकॉइन, इथेरियम जैसी प्राइवेट क्रिप्टो में निवेश भले ही नहीं कर पाएगा, लेकिन सरकारी करेंसी का विकल्प खुला रहेगा।
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