नई दिल्ली: एक कप्तान (Captain) जो अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है, एक Team जिसमें कुछ खिलाडिय़ों को उनकी वर्तमान Form के बजाय ख्याति के आधार पर चुना गया तथा जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) के दौर में हावी होती थकान India के T-20 World Cup में निराशाजनक अभियान के कारण रहे।
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T-20 WorldCup में भारत-पाकिस्तान मैच का पहला Over याद है आपको। जी हां गोरा-चिट्टा सा पाकिस्तानी बॉलर शाहीन अफरीदी की कहर बरपाती Ball. जी हां! लगता है शाहीन शाह अफरीदी की कहर बरपाती पहली 12 गेंदों ने टीम इंडिया को ऐसे दहशत में डाला कि न्यूजीलैंड के खिलाफ वह अपनी रणनीति ही भूल गए। इतना ही नहीं मैच के बाद Captain Kohali जिस तरह की भाषा बोल रहे हैं उससे टीम की हताशा-निराशा साफ झलकती है। आइए जानते हैं आखिर क्यों मैच दर मैच Team India न सिर्फ हार रही है बल्कि मानसिक रूप से भी पस्त होती जा रही है।
Virat Kohali की कप्तानी
Pakistan के खिलाफ हो या New Zealand विराट Team Leader के अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रहे। कोहली टूर्नामेंट से पहले ही विश्व कप के बाद टी20 की कप्तानी छोड़ने का फैसला कर चुके हैं। Virat Kohali को एक ऐसे Captain के रूप में याद किया जाएगा जो द्विपक्षीय सीरीज में सफल रहे लेकिन जिन्हें बड़ी प्रतियोगिताओं, जैसे विश्व कप (टी20 और वनडे), चैंपियन्स ट्राफी या IPL में सफलता नहीं मिली। माना जाता है कि कोहली को द्वपक्षीय सीरीज में अपनी गलती में सुधार करने का मौका मिल जाता है लेकिन कई टीमों वाली प्रतियोगिता में ऐसा नहीं हो पाता है। लगता है कि इस मामले में उनकी रणनीति काम नहीं कर पाती है।
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Team Selection
टीम के चयन में निरंतरता का अभाव देखा गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ रोहित शर्मा की बजाय इशान किशन से पारी का आगाज करवाने का कप्तान का फैसला गलत साबित हुआ। रविचंद्रन अश्विन को प्रत्येक प्रारूप में नजरअंदाज करने से कोहली का अपने खिलाड़ियों के साथ संबंधों पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे हालात में कोहली की वनडे कप्तानी भी खतरे में लग रही है। वनडे विश्व कप 2023 में भारत में खेला जाना है और ऐसे में टीम को एक नये कप्तान की देखरेख में तैयार किया जा सकता है।
हार्दिक फैक्टर
आलराउंडर हार्दिक पंड्या की फिटनेस को लेकर शुरू से टीम में भ्रम की स्थिति बनी रही। पूरी तरह फिट न होने के बावजूद हार्दिक का चयन करने का मतलब है कि चयनकर्ताओं से लेकर टीम प्रबंधन में संवादहीनता का अभाव रहा। ऐसी खबरें भी चल रही हैं कि टीम में हार्दिक को रखने के लिए धोनी ने विटो कर दिया था।
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आईपीएल के बाद जब लगने लगा कि हार्दिक गेंदबाजी नहीं कर पाएंगे तो आनन फानन में अक्षर पटेल की जगह शार्दुल ठाकुर को आलराउंडर के विकल्प के रूप में रखा गया। इससे पता चलता है कि टीम टी20 विश्व कप की असली चुनौती को लेकर बहुत गंभीर नहीं थी। यदि फॉर्म पर ध्यान दिया जाता तो रुतुराज गायकवाड़ टीम में जगह बनाने के हकदार थे जिन्होंने आईपीएल में सर्वाधिक रन बनाये।
ऐसी ही स्थिति भुवनेश्वर कुमार की भी है। उन्हें पिछले दो वर्षों से किसी भी मंच पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये। उनकी गेंदबाजी में अब पहले जैसी धार नहीं रही लेकिन तब दीपक चाहर की बजाय उन्हें चुना गया। दीपक ऐसे गेंदबाज हैं जो पावरप्ले में विकेट लेने में माहिर हैं।
इसी तरह से लेग स्पिनर के रूप में राहुल चाहर को चुना गया जबकि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर को आईपीएल के प्लेऑफ में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले युजवेंद्र चहल को रिजर्व में भी जगह नहीं दी गयी।
बायो बबल फैक्टर
टीम का पिछले चार महीनों से जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) में रहना भी हार का एक कारण रहा। इसका प्रभाव भारतीय खिलाडिय़ों के बॉडी लैंग्वेज पर स्पष्ट दिखाई देता है। इसके लिये भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) भी जिम्मेदार है जिसने टी20 विश्व कप से ठीक पहले आईपीएल का आयोजन करके खिलाडिय़ों को तरोताजा होने का मौका नहीं दिया।
आईसीसी का दबाव
इसके अलावा भारत में क्रिकेट के प्रति दीवानगी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की उसे भुनाने की रणनीति भी टीम पर भारी पड़ रही है। भारत के सभी मैच शाम को हैं जब ओस अपनी भूमिका निभा रही है। सभी चोटी की टीमों जैसे इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका आदि का दिन में कम से कम एक मैच है। तब पहले बल्लेबाजी करने पर ओस की भूमिका नहीं होती है लेकिन शाम के मैचों में टॉस गंवाने और पहले क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम के हार की संभावना बढ़ जाती है। भारत दोनों मैचों में टॉस गंवा बैठा था।
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