नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एनडीए के दूसरे कार्यकाल में पहली बार बड़े पैमाने पर मंत्रिमंडल का विस्तार (Cabinet Expansion) किया है। मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल के साथ मंत्रियों के विभागों में भी काफी परिवर्तन किए गए हैं। एक तरफ राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, एस.जयशकंर, निर्मला सीतारमण, अर्जुन मुंडा जैसे स्मृति ईरानी जैसे कद्दावर मंत्रियों के विभागों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वहीं दूसरी तरफ कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और स्वास्थय मंत्री हर्षवर्धन समेत 12 मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया है। इसके आलावे धर्मेंद्र प्रधान के मंत्रालय को बदल दिया गया है।
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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद
कानून और आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद को मोदी मंत्रिमंडल से बाहर किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरूआत के दिनों से अपने मंत्रियों और सांसदों को सोशल मीडिया के बेहतर इस्तेमाल करने को कहा है। प्रधानमंत्री मंत्रियों और सांसदों से सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ सही जानकारी पहुंचाने के लिए कहते रहे हैं। लेकिन माना जा रहा है कि प्रसाद ने नए सोशल मीडिया कानून लाए। इसके बाद ट्विटर विवाद को सही तरीके से हैंडल नहीं किया, जिसकी वजह से सरकार और पीएम पर भी बहुत सारे सवाल उठे, जो उनकी छुट्टी की एक वजह बना।
स्वास्थय मंत्री हर्षवर्धन
स्वास्थय मंत्री हर्षवर्धन डॉ हर्षवर्धन को भी मोदी मंत्रिमंडल से हटाया गया है। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विपक्ष ने मोदी सरकार के स्वास्थ सिस्टम पर काफी सवाल खड़े किए। विपक्ष ने मिसमैनेजमेंट को लेकर हेल्थ मिनिस्टर और प्रधानमंत्री मोदी पर ताबड़तोर हमले किए। हॉस्पिटल में बेड की कमी, ऑक्सिजन की कमी और दिक्कतों से निपटने में हेल्थ मिनिस्टर का एक्टिव ना दिखना उनकी छुट्टी की एक वजह बना। पिछली सरकार में भी हर्षवर्धन से हेल्थ मिनिस्ट्री वापस ली गई थी।
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शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को मोदी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। हालांकि मीडिया खबरों की मानें तो उनको मोदी मंत्रिमंडल से बाहर जाने की वजह उनका खराब स्वास्थ्य बताई जा रही है। निशंक को कोरोना से रिकवर होने के बाद उन्हें कई तरह की दिक्कते हुई और 15 दिन तक दिल्ली के आईसीयू में रहना पड़ा। हालांकि उनकी क्वॉलिफिकेशन को लेकर भी बीच-बीच में विपक्ष सवाल उठाता रहा है।
लेबर मिनिस्टर संतोष गंगवार
लेबर मिनिस्टर संतोष गंगवार को भी मोदी मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। बता दें कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों को सही से डील न करने को लेकर लेबर मिनिस्ट्री सवालों के घेरे पर थी। विपक्ष प्रवासी मजदूरों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहे थे। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी लेबर मिनिस्ट्री पर सख्त टिप्पणी की थी। प्रवासी मजदूरों की खराब हालत को लेकर सरकार पर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब सवाल उठे। यहीं वजह है कि संतोष गंगवार को कैबिनेट से बाहर का राश्ता दिखाना पड़ा।
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पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
नए मंत्रीमंडल में धर्मेंद्र प्रधान का मंत्रालय बदल दिया गया है। प्रधान के पास पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और स्टील मंत्रालय था लेकिन अब वो शिक्षा मंत्रालय का पदभार संभालेगे। धर्मेंद्र प्रधान के बारे में ये कहा जा रहा है कि कोरोना महामारी के दौरान देश में लगातार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़े। यू कहें तो देश के कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल के दाम 100 के पार चली गई। इस कारण विपक्ष ने पेट्रोलियम मंत्री को साथ-साथ पीएम मोदी पर भी जमकर निशाना साधा। यही वजह है कि उनका मंत्रालय बदल दिया गया। हालांकि शिक्षा मंत्रालय भी बुहत बड़ा मंत्रालय है और प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा जताते हुए शिक्षा मंत्रालय का जिम्मा धर्मेंद्र प्रधान को सौंपा है। प्रधान अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का पदभार संभालेगे। इसके साथ अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में तीन राज्य मंत्री बनाए गए हैं।