नई दिल्ली। चुनावी रणनीतिकार पीके यानि प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के बीच शुक्रवार को बैठक हुई। इसके बाद से प्रशांत किशोर और शरद पवार की मुलाकात से सियासी गलियारों में हलचल काफी बढ़ गई है, और सियासी गलियारों में ऐसा माना जा रहा है कि दोनों के बीच मोदी विरोधी पार्टियों को एक साथ लाने को लेकर चर्चा हुई। वहीं मुलाकात के एक दिन बाद शनिवार को पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ रुख रखने वाली पार्टियों के महागठबंधन की जरुरत है।
किशोर ने शुक्रवार को मुंबई स्थित पवार के आवास पर उनसे मुलाकात की। करीब तीन घंटे चली इस बैठक के बाद राजनीतिक हलके में अटकलों का बाजार गरम है। हालांकि, बैठक में क्या बात हुई, इस बारे में पता नहीं चला है।
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मोदी विरोधी दलों का एक साथ आना जरूरी
राकांपा नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) ने कहा, अगले आम चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ रुख रखने वाली पार्टियों के महागठबंधन की जरुरत है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भी भाजपा का मुकाबला करने के लिए सभी दलों के राष्ट्रीय गठबंधन की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वह ऐसे बलों को एक साथ लाने का प्रयास करेंगे, जो मजबूत विकल्प के रूप में उभर सके। उन्होंने कहा, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को आंकड़ों और सूचनाओं की पूरी जानकारी है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस को एक साथ लाकर सरकार बनाने के बाद शरद पवार की महात्वाकांक्षा बढ़ गई है। वहीं पिछले महीने शिवसेना नेता संजय राउत ने राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के गठबंधन की बात कहा था। उन्होंने इस मुद्दे पर शरद पवार से बात भी किया था।
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मोदी विरोधी पार्टियों को साथ ला पाएंगे प्रशांत?
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर का क्षेत्रियों पार्टियों के नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस से भी अच्छा संबंध है। कांग्रेस के लिए वह चुनावी रणनीति बना चुके हैं और पंजाब चुनाव में भी पीके कांग्रेस के लिए काम करने वाले है। वहीं टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, राजद सुप्रीमो लालू यादव, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी से भी पीके के अच्छे संबंध हैं। ऐसे में शरद पवार को लगता है कि पीके कांग्रेस और दूसरी छोटी पार्टियों को उनके नेतृत्व में काम करने के लिए मना लेंगे। दूसरी ओर हर क्षेत्रीय पार्टी के नेता का अपना एजेंडा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पीके और पवार मिलकर मोदी विरोधी पार्टियों को एक साथ ला पाएंगे।
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मोदी विरोधी पार्टियों को एक साथ लाना मुश्किल
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर और शरद पवार की मुलाकात के बाद से जो सियासी गलियारों से मोदी विरोधी पार्टियों को एक प्लेटफार्म पर लाने की खबरे आ रही है, यह योजना जमीन पर उतरने दिखाई नहीं पड़ रही है। इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि हर क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं का अपना-अपना एजेंडा है। ऐसे में यूपी में जहां मायावती कांग्रेस और सपा के साथ आने को तैयार नहीं होगी, तो पंजाब में अकाली दल की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। वहीं बंगाल में ममता बनर्जी के लिए भी कांग्रेस और वाम दलों के साथ जाने को तैयार होना मुश्किल है। आम आदमी पार्टी के लिए कांग्रेस के साथ हाथ मिलाना मुश्किल है। सबसे बड़ी बात इन सभी पार्टियों के अलावा अगर कांग्रेस की बात करें, तो राहुल गांधी किसी भी तरह पवार को यूपीए का अध्यक्ष बनाने को तैयार नहीं होंगे।