नई दिल्ली: नेपाल (Nepal) के पूर्व प्रधानमंत्री (PM) ‘केपी शर्मा ओली’ (KP Sharma Oli) ने हिंदुस्तान से ‘सीमा विवाद’ पर फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने वादा किया है कि – अगर उनकी पार्टी (Party) सत्ता में लौटती है तो वह हिंदुस्तान (Hindustan) से लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के क्षेत्रों को बातचीत के जरिए वापस ले लेंगे। लिपुलेख दर्रा कालापानी के पास एक सुदूर पश्चिमी बिंदु पर स्थित है। यह नेपाल और हिंदुस्तान के बीच एक विवादित सीमा क्षेत्र है। हिंदुस्तान और नेपाल दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र के अभिन्न अंग के रूप में दावा करते हैं। हिंदुस्तान उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हिस्से के रूप में और नेपाल धारचूला जिले के हिस्से के रूप में इस पर दावा करता रहता है।
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नेपाल की राजधानी ‘काठमांडू’ से 160 किलोमीटर दक्षिण में चितवन में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के 10वें आम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केपी शर्मा ओली ने दावा किया कि – अगर उनकी पार्टी सत्ता में वापस आती है तो वह ‘‘हिंदुस्तान से वार्ता के माध्यम से लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख जैसे विवादित क्षेत्रों को वापस ले लेगी।’’ ओली ने कहा कि – ‘‘हम बातचीत के जरिए समस्याओं के समाधान के पक्ष में हैं, न कि पड़ोसियों से दुश्मनी करके।’’
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केपी शर्मा ओली ने विश्वास जताया कि – सीपीएन-यूएमएल अगले साल होने वाले आम चुनाव में सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभर सकता हैं। हिंदुस्तान द्वारा उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क 8 मई, 2020 को खोले जाने के बाद द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। तब नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया था कि – यह उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। कुछ समय बाद, नेपाल लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्रों के रूप में दिखाते हुए एक नया नक्शा लेकर आया हैं। हिंदुस्तान ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
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अपने संबोधन में, केपी शर्मा ओली ने कहा कि – उनकी पार्टी ‘‘नेपाल की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान, उद्घाटन कार्यक्रम को विशेष अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने सभी राजनीतिक दलों से नेपाल के विकास के लिए एक साथ आने और हाथ मिलाने का आग्रह किया। सम्मेलन की सफलता की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि – ‘‘हम सभी संविधान का मसौदा तैयार करने वाले थे, अब समय आ गया है कि हम सभी नेपाल के विकास के लिए आगे बढ़ें।’’
नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा, बांग्लादेश, हिंदुस्तान, कंबोडिया और श्रीलंका सहित विभिन्न देशों की पार्टियों के प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री हर्षवर्धन उन विदेशी प्रतिनिधियों में शामिल थे, जिन्होंने आम सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
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