नई दिल्ली: नेपाल (Nepal) में सत्ता परिवर्तन के साथ ही चीन (China) का दबाव और प्रभाव भी कम होता दिखाई दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति (American President) द्वारा आयोजित ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ (Summit for Democracy) को चीन ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ (One-China policy) के विरोध में होने की वार्ता सार्वजनिक करने के बावजूद चीन के प्रभाव में रहे कई देश इस समिट में सहभागी होने का एलान कर चुके हैं। चीन ने इस समिट में सहभागी नहीं होने के लिए अपने पड़ोसी देश ‘नेपाल’ पर भी दबाव बनाया था। इसके लिए नेपाल को इस ‘ग्लोबल समिट’ में सहभागी होने से रोकने के लिए काठमांडू में रही चिनियां राजदूत ‘होउ यांकी’ ही नहीं बीजिंग में रहे ‘कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ चाइना’ के विदेश विभाग के मुखिया ‘सांग ताओ’ तक लगातार नेपाल की सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं पर भी दबाव बना रहे थे।
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नेपाल में चीन की राजदूत ने तो बीतें दिनों ‘नेपाल’ के विदेश मंत्री ‘डॉ नारायण खड्का’ से मुलाकात कर इस समिट में सहभागी नहीं होने की सलाह दे दी थी। बावजूद इसके कल नेपाल के प्रधानमंत्री ‘शेर बहादुर देउवा’ ने कैबिनेट से ही इस समिट में सहभागी होने का निर्णय कर लिया है। कैबिनेट बैठक के फैसला की जानकारी देते हुए – नेपाल सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने कहा है कि – अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ में प्रधानमंत्री अपने 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ सहभागी होने वाले हैं।
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नेपाल को इस समिट में सहभागी होने से रोकने के लिए सीपीसी के विदेश विभाग प्रमुख ‘सांग ताओ’ ने सत्तारूढ़ गठबंधन के दो प्रमुख नेताओं माओवादी पार्टी के अध्यक्ष ‘प्रचंड’ तथा समाजवादी के अध्यक्ष ‘माधव’ नेपाल से वार्ता कर भी ‘प्रधानमंत्री’ पर दबाव डालने का प्रयास करी गई थी। नेपाल में चीन की राजदूत ने 12 नवंबर को विदेश मंत्री खड्का से मुलाकात कर दबाब डाला था। इस मुलाकात की पुष्टि ‘नेपाल’ के विदेश मंत्रालय की आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी गई थी।
इसी प्रकार 22 नवंबर को नेपाल के उपराष्ट्रपति ‘नंदकिशोर पुन’ को एक कार्यक्रम में बुलाकर चीन की राजदूत ने दबाव डाला था। इसी कार्यक्रम में वर्चुअली मौजूद सीपीसी विदेश विभाग के मुखिया ‘सांग ताओ’ ने भी अप्रत्यक्ष रूप से यह बताया था कि – अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित सम्मेलन चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ के विरूद्ध है और चीन के मित्र देशों को इससे अपने आपको अलग रखना चाहिए। इसी कार्यक्रम में नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता माओवादी अध्यक्ष प्रचंड और नेकपा समाजवादी के अध्यक्ष ‘माधव’ नेपाल भी सहभागी थे। इन दोनो नेताओं को भी चीन के ओरे से नेपाल के इस समिट में सहभागी होना उचित नहीं होने की सलाह दी गई थी।
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