नई दिल्ली: हिंदू (Hindu) और हिंदुत्व का मसला उछाल कर कांग्रेस (Congress) जितना अपने-आपको संगठित करने की कोशिश कर रही है उतनी ही बिखरती जा रही है। पंजाब (Punjab), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), राजस्थान (Rajasthan), गोवा (Goa), गुजरात (Gujarat) समेत कांग्रेस की कई राज्य इकाइयों में चल रहे झगड़े के बीच अब पार्टी (Party) की जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) और मुंबई (Mumbai) इकाई की कलह सामने आई है। जम्मू-कश्मीर के कई कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकलाप से खफा होकर इस्तीफा दे दिया तो मुंबई इकाई के प्रमुख भाई जगताप और शहर के युवा कांग्रेस के अध्यक्ष जीशान सिद्दीकी आमने-सामने आ खड़े हुए हैं।
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सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के सात प्रमुख नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना त्यागपत्र भेज दिया है। ये सारे नेता जी-23 समूह के प्रमुख चेहरा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी हैं। इस्तीफा देने वाले नेताओं में जी. एम. सरूरी, जुगल किशोर, विकार रसूल और डॉक्टर मनोहर लाल शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व विधायकों में गुलाम नबी मोंगा, नरेश गुप्ता और अमीन भट भी हैं।
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इन नेताओं ने अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और जम्मू-कश्मीर में पार्टी मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल को भेजा है। त्यागपत्र में इन नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के ‘शत्रुतापूर्ण रवैये’ के चलते यह कदम उठाना पड़ा।
इन नेताओं का कहना है कि वे पिछले करीब एक साल से ज्ञापन के माध्यम से पार्टी नेतृत्व से मिलने का समय मांग रहे थे, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया। अगस्त में राहुल गांधी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर व्यक्तिगत रूप से पार्टी आलाकमान से मिलने का अनुरोध किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के कामकाज पर कुछ नेताओं ने कब्जा जमा रखा है।
इधर, कांग्रेस की मुंबई इकाई के प्रमुख भाई जगताप और शहर के युवा कांग्रेस के अध्यक्ष जीशान सिद्दीकी के बीच कलह शुरू हो गई है। सिद्दीकी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर भाई जगताप पर अपमानजनक व्यवहार एवं अन्याय करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
दूसरी ओर, जगताप के करीबी नेताओं ने सिद्दीकी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बांद्रा (पूर्व) के विधायक ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में गलत आचरण और अनुशासनहीनता की जिसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जगताप और सिद्दीकी के बीच इस कलह की शुरुआत 14 नवम्बर को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर निकाले जाने वाले मोर्चे से पहले हुई एक बैठक से हुई।
सिद्दीकी का दावा है कि राजगृह में बी आर आंबडेकर का आवास पर हुई इस बैठक शामिल नेताओं की सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया और जब वह मौके पर पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में जीशान ने यह दावा भी किया है कि जगताप ने उनके साथ धक्का-मुक्की की और उनके एवं उनके समुदाय के खिलाफ ‘अपमानजनक शब्दों’ का इस्तेमाल किया। उन्होंने कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है।
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