नई दिल्ली। अध्ययनों से पता चलता है कि हमारे शरीर के सभी अंग एक दूसरे से जुड़े होते हैं, यानी कि एक को होने वाली परेशानी का असर दूसरे अंग की सेहत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। तो जाहिर है कि हृदय और मस्तिष्क के बीच भी ऐसा ही संबंध होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों की हृदय गति लगातार बढ़ी हुई रहती है, उनमें डेमेंशिया जैसे मनोरोग का जोखिम अधिक हो सकता है।
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डेमेंशिया या मनोभ्रम को संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में होने वाली क्षति से संबंधित समस्या माना जाता है, जिसके कारण लोगों को सोचने, चीजों को याद रखने और तर्क करने जैसे चीजों में काफी कठिनाई महसूस हो सकती है। डेमेंशिया के कारण व्यक्ति के दैनिक जीवन के कार्यों में भी समस्या आ सकती है, यही कारण है कि लोगों को इससे बचाव करते रहने की सलाह दी जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेमेंशिया, न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी के सबसे आम और गंभीर प्रकारों में से एक है। स्वीडन के करोलिंस्का संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में हृदय गति के साथ डेमेंशिया के संबंध पर प्रकाश डाला गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हृदय गति का लगातार बढ़े रहना आपके दिल ही नहीं दिमाग के लिए भी खतरनाक हो सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया कि हार्ट रेट का अधिक होना कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है, डेमेंशिया भी उन्हीं में से एक है। आमतौर पर हार्ट रेट बढ़ने को दिल की सेहत से ही जोड़कर देखा जाता है पर इस अध्ययन में जानने को मिला है कि हार्ट रेट का बढ़ना किस तरह से मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकता है?अध्ययन के प्रमुख लेखक युम इमाहोरी कहते हैं, यह पता लगाना महत्वपूर्ण होगा कि क्या रेस्टिंग हार्ट रेट के आधार पर हाई डेमेंशिया के खतरे वाले रोगियों की पहचान कर सकती है?
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मायो क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक उम्र बढ़ने के साथ डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ जाता है। 85 या उससे अधिक उम्र के लोगों में से लगभग एक-तिहाई को डिमेंशिया की शिकायत हो सकती है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि सभी लोगों में डेमेंशिया की समस्या हो ही। डेमेंशिया, मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं और उनके कनेक्शन को होने वाली क्षति के कारण होने वाली बीमारी है। मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से के आधार पर, डेमेंशिया लोगों को अलग तरह से प्रभावित कर सकता है और इसके विभिन्न प्रकार के लक्षण हो सकते हैं।
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