नई दिल्ली : Bharat के लगभग प्रत्येक हिस्सों में पेट्रोल – डीजल की कीमतें अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं। जिसके कारण जरूरी उपभोग की वस्तुओं (Objects) की कीमतें भी बढ़ने लगी हैं| इससे घरों का बजट (Budget) बिगड़ने लगा है। इस महंगे पेट्रोल-डीजल के संकट का हल तो जल्द भविष्य (Future) में दिखाई नहीं पड़ता, लेकिन विशेषज्ञों (Experts) का मानना है कि हाइड्रोजन (H2) के ईंधन (Fuel) के रूप में प्रचलन में आ जाने से ईंधन के संकट से हमेशा-हमेशा के लिए निजात मिल सकता है। इसका कारण यह है कि हाइड्रोजन प्रकृति में प्रचुर मात्रा में मौजूद (Available) है | इसीलिए, हमें इसे पेट्रोल (Petrol) की तरह आयात नहीं करना पड़ेगा। इससे India के विकट ऊर्जा संकट को हल करने में मदद मिल सकती है, साथ ही सर्वसुलभ और सस्ता ईंधन उपलब्ध भी हो सकता है। इसमें आठ से दस साल तक का समय लगने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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हाइड्रोजन को ‘फ्यूचर फ्यूल’ के सबसे प्रबल संभावनाओं वाले विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। अगर, हिन्दुस्तान हाइड्रोजन की क्षमता का समुचित उपयोग कर पाया, तो हमारी ऊर्जा की सबसे बड़ी समस्या का एक उचित और स्थायी समाधान हमें मिलने की सम्भावना है। नरेंद्र मोदी ने ‘नेशनल हाइड्रोजन मिशन’ की स्थापना कर दी है। किन्तु, इस राह में कई गंभीर चुनौतियां हैं जिससे विश्व समुदाय को अभी निपटना है।
हाइड्रोजन प्राप्त करने के अनेक तरीके हो सकते हैं। सबसे प्रचलित तरीका जीवाश्म इंधनों से हाइड्रोजन को निकालकर उसका ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना हैं । हाइड्रोजन निकालने में भी अंतत: जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग ही किया ही जा रहा है, ऐसे में यह तरीका जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को समाप्त करने वाली नहीं है, यही कारण है कि इसे बहुत अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जा रहा।
हाइड्रोजन प्राप्त करने के अनेक तरीके हो सकते हैं। सबसे प्रचलित तरीका जीवाश्म इंधनों से हाइड्रोजन को निकालकर उसका ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना हैं । हाइड्रोजन निकालने में भी अंतत: जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग ही किया ही जा रहा है, ऐसे में यह तरीका जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को समाप्त करने वाली नहीं है, यही कारण है कि इसे बहुत अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जा रहा।