नई दिल्ली। दुनियां भर में 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है, जो कि यूएन से मंजूरी मिलने के बाद से ही मनाया जाने लगा है। तो महिला दिवस पर हम महिलाओ के बारें में बात करेंगे , जानेंगे कि क्या और क्यूं इन दिन किया जाता है।
और क्यूं हम महिला दिवस पर ही महिलाओं के बारें में बात करते है क्यूं हम महिला दिवस के आस-पास ही सोशल मीडिया पर महिलाओं से जुड़े हैशटैग शेयर करते है। जीवन की सच्चाई है महिलाएं और आधार भी इस बात को भूले ना।
International Women’s day: क्या महिलाओं को पता है अपने ये अधिकार !!
सोशल मीडिया पर ट्रेड़
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021 की थीम Choose To Challenge यानी (चुनौती के लिए चुनें) रखी गई है। ट्विटर पर हैश टैग #ChooseToChallenge #Women’sDay2021 ट्रेंड कर रहा है। महिला दिवस पर हर क्षेत्र की महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। थोड़ा सा समझना मुश्किलें है कि सोशल मीडिया पर ऐसा क्यूं हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए समर्पित है।
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कितने रुप है महिलाओं के
जीवन का आधार है महिलाएं, सच्चाई, प्यार, समपर्ण, सहारा और विश्वास का नाम है महिलाएं। कितने सारे रुप है, पर क्या कोई उनका असली रुप समझता है, क्या किसी को समझ आता है कि कितना दर्द सहकर चीजों का समालती है। बेटी, मां, बहन, दादी, पत्नी और दोस्त के साथ साथ वो एक इंसान भी है और अपने करियर को समालना भी उनके लिए उतना ही जरुरी होता है जितना घर को समालना। कहने वाले तो कहते रहते है और कुछ ना करने पर भी कहते है कुछ करने पर भी कहते है। तो कोशिश करे कि महिलाओं के सर्घष को समझे साथ में उनका सहारा बने।
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क्या है इसका इतिहास
महिला दिवस के भी एक इतिहास है, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का 108 साल पुराना एक समृद्ध इतिहास है। इसकी पहली झलक 1909 में हुई थी जब सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने 15,000 महिलाओं को मनाया था जिन्होंने लंबे समय तक काम करने, कम वेतन और न्यूयॉर्क शहर में मतदान के अधिकारों की कमी का विरोध किया था। वहीं यह रूस था जिसने अनजाने में 8 मार्च की प्रवृत्ति निर्धारित की थी। यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 1913 में रूस में एक आधिकारिक अवकाश बन गया, फिर भी महिलाओं को WWI के कारण कठिनाइयों का अनुभव हुआ।
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क्या है महिलाओं के अधिकार
जानते है आज के खास दिन महिलाओं के वो अधिकार जो उनको नहीं पता है। जीरो एफआईआर- इसका सीधा सा मतलब है कि महिलाओं को हर जगह, हर क्षेत्र में अपना ऊपर हुए अत्याचार की एफआईआर लिखवाने का हक है। इजाजत के बिना फोटो/ वीडियो- इस अधिकार का अर्थ है कि कोई भी किसी महिला की इजाजत के बिना फोटो या वीडियो नहीं ल सकता है। समान वेतन- काम करना तो दोनों का अधिकार है पुरुष और महिला, तो दोनों का बराबर का वेतन पाने का भी अधिकार है। रात में अरेंस्ट- महिलाओं को ये खास अधिकार है कि उनको रात के वक्त पुलिस अरेंस्ट नहीं कर सकती है।
“पहली सांस से लेकर आतिंम सांस तक सब कुछ सहती है,
कुछ ना कहकर बस सहती ही तो है।
बचपन में पढ़ाई, जबानी में करियर और फिर बढ़ापे में जिम्मेदारियां और घर
सबके लिए बस सुनती ही है,
कहां कह पाती है कि मुझे शादी के रिश्ते से ज्यादा एक हमसफर की जरुरत है,
कहां कह पाती है मुझे बड़े मकान नहीं एक छोटे से घर और परिवार की जरुरत है,
कहां कह पाती है मुझे पैसे नहीं इज्जत और प्यार की जरुरत है,
कभी भी नहीं कुछ ना कहकर बस चुप ही रहती है।
अगर मिल जाए कोई को खुशियों को बाटने वाला और दर्द में सहारा बनने वाला,
तो फिर खुद कुर्बान कर देती है, ऐसी ही होती है नारियां,
हां सब सहन करके भी चेहरे पर मुस्कान रखती है नारियां।”
प्रिया तोमर।