नई दिल्ली। यूपी के लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) में मारे गए किसानों के परिजनों ने इस घटना के सिलसिले में अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। मृतक किसानों के परिजनों ने हिंसा में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की जमानत रद्द करने की मांग की है। परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आशीष मिश्रा की जमानत के फैसले को चुनौती दी है।
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आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को जमानत
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए आशीष मिश्रा के खिलाफ सबूतों पर गौर नही किया है। बता दें कि पीड़ित परिवार के वकील प्रशांत भूषण है। पिछले चार महीने से हिरासत में चल रहे आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने जमानत दी थी।
पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान सहित कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी। चारों किसानों को कथित तौर पर एक SUV कार ने कुचल दिया था। जबकि एक ड्राइवर और बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की गुस्साएं किसानों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने SIT का पुनर्गठन भी किया
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 17 नवंबर को उत्तर प्रदेश एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था। सुप्रीम कोर्ट ने SIT का पुनर्गठन भी किया और तीन IPS अधिकारियों को शामिल किया जो राज्य के मूल निवासी नहीं हैं। इनमें- एसबी शिराडकर, पद्मजा चौहान और प्रीतिंदर सिंह शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि महाराष्ट्र के 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में उत्तर प्रदेश में एडीजी इंटेलिजेंस के रूप में कार्यरत शिराडकर एसआईटी के प्रमुख होंगे।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में चार किसानों को एक एसयूवी कार से कुचल दिया गया था। दरअसल, किसान कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर वापस लौट रहे थे। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी भी मौजूद थे। घटना के दौरान मारे गए लोगों में एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी शामिल थे। किसानों ने आरोप लगाया था कि एसयूवी अजय मिश्रा टेनी की थी और उसमें उनका बेटा आशीष मिश्रा था।
घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट में मामले की पहली सुनवाई आठ अक्टूबर को हुई थी। हिंसा के कई दिनों के बाद आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को 9 अक्टूबर घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरोपी आशीष मिश्रा को कुछ दिनों पहले ही जमानत दी है। आशीष मिश्रा की जमानत पर मृतक किसानों के परिजनों ने नाराजगी जाहिर की थी और इस फैसले का विरोध किया था।