नई दिल्ली। पंजाब में कांग्रेस पार्टी की ओर से कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद राजस्थान में बदलाव की अटकले तेज हो गई हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के बाद सर्वे के अनुसार बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए बहुमत हासिल करती हुई दिख रही है। सर्वे के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (BJP) उन राज्यों में भी शानदार प्रदर्शन करती दिख रही है जहां कुछ महीने पहले उसे विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
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राजस्थान की सियासत में सचिन पायलट उड़ान भर रहे है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच लंबे समय से मतभेद की खबरे आ रही है। ऐसे में अब पायलट की दिल्ली दरबार में एक सप्ताह के भीतर दो बार हाजिरी से उन अटकलों को भी बल मिला है, जिनमें कहा जा रहा है कि राजस्थान में भी नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।
दरअसल पंजाब के बाद राजस्थान दूसरा राज्य है जहां पर कुर्सी का विवाद चरम पर पहुंच चुका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद सार्वजनिक तौर पर सामने आया है। पिछले दिनों गहलोत की कार्यशैली से खफा सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायकों ने बगावत कर दी थी। अब सचिन पायलट मंत्रिमंडल विस्तार और राज्य के बोर्ड व निगमों में शीर्घ नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। ऐसे में उनकी मुलाकातों को मंत्रिमंडल विस्तार में हस्तक्षेप के तौर पर भी देखा जा रहा है, साथ ही ये भी माना जा रहा है कि राजस्थान में कुर्सी को लेकर छिड़ा यह संग्राम भी सामने आ सकता है, क्योंकि कई दिनों से वहां सत्ता परिवर्तन की भी मांग हो रही है।
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गौरतलब है कि सचिन पायलट पिछले साल से ही अशोक गहलोत से नाराज हैं और बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं। उनका पिछले कुछ समय से बीजेपी में जाना लगभग तय माना जा रहा था, हालांकि, आखिरी समय में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उन्हें मना लिया था।
बता दें कि इससे पहले 17 सितंबर को हुई बैठक में राजस्थान में कांग्रेस को जमीनी तौर पर अधिक मजबूत करने के साथ-साथ सचिन पायलट की भावी भूमिका को लेकर भी लंबी बात हुई थी। सचिन खेमे का दावा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व ने सचिन को सीएम बनाने का वादा किया हुआ है और देर सवेर ये वादा पूरा होगा। ऐसे में सचिन समर्थकों पायलट के संकेतों से साफ है कि वे राजस्थान में कांग्रेस संगठन की कमान थामे रखने में भविष्य के लिहाज ज्यादा फायदा देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत के बेशक गांधी परिवार से अच्छे रिश्ते हैं, मगर सचिन पायलट भी राहुल और प्रियंका के करीबी नेताओं में गिने जाते रहे हैं। ऐसे में राहुल-प्रियंका के साथ हुई ताजा बैठक के बाद पायलट व उनके समर्थकों की प्रदेश की सत्ता और संगठन में जल्द वापसी लगभग तय माना जा रहा है।
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