पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूत भाजपा का बहिष्कार क्यों कर रहे हैं?
क्या इससे चुनावी नतीजों पर असर पड़ सकता है? नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि प्रमुख जाति- राजपूतों ने भाजपा का बहिष्कार करने का फैसला किया है। यह फैसला मंगलवार को मुजफ्फरनगर में आयोजित महापंचायत में राजपूत समुदाय ने लिया। राजपूतों के बीच असंतोष उत्तर प्रदेश में भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। चुनावी दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण राज्य है, क्योंकि यहां से लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद चुने जाते हैं। भाजपा ने मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान और कैराना लोकसभा सीट से प्रदीप चौधरी को मैदान में उतारा है। बालियान और चौधरी दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं और मौजूदा सांसद हैं। सहारनपुर में भाजपा ने राघव लखनपाल शर्मा को मैदान में उतारा है। राजपूतों ने महापंचायत में भाजपा का बहिष्कार करने का फैसला किया
मुजफ्फरनगर में राजपूतों ने महापंचायत की, जिसमें उन्होंने टिकट वितरण में कथित तौर पर समुदाय की अनदेखी करने के लिए मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों का बहिष्कार करने का फैसला किया। महापंचायत में दावा किया गया कि उनके द्वारा लिए गए फैसले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के पतन का कारण बनेंगे।
किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और क्षेत्र के प्रमुख राजपूत नेता ठाकुर पूरन सिंह ने मंगलवार को खेड़ा क्षेत्र में महापंचायत बुलाई थी। इसमें मुजफ्फरनगर निर्वाचन क्षेत्र में फैले चौबीसा राजपूत समुदाय और आसपास के जिलों के अन्य राजपूत समुदाय शामिल हुए।
राजपूत भाजपा के खिलाफ क्यों हैं?
सिंह ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी द्वारा टिकट वितरण में राजपूत समुदाय की अनदेखी करके उनका अपमान करने के विरोध में यह बहिष्कार किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में राजपूत समुदाय के लोग भाजपा उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे, बल्कि उनकी जगह किसी अन्य पार्टी के मजबूत दावेदार को चुनेंगे।” इसका असर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि असंतोष दिल्ली एनसीआर तक भी पहुंच चुका है। गाजियाबाद में जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह की जगह अतुल कुमार गर्ग को लाने के भाजपा के फैसले से नाराजगी फैल गई, इस महीने की शुरुआत में सहारनपुर में राजपूतों ने महापंचायत बुलाई। यहां तय हुआ कि समुदाय भाजपा उम्मीदवारों को वोट नहीं देगा।