नई दिल्ली। देश में ओमीक्रोन (Omicron) के दो मामले सामने आए है। जिसके बाद केंद्र ने कहा कि टीकाकरण की तेज रफ्तार और डेल्टा स्वरूप (Delta Variant) के व्यापक प्रसार के कारण इस नए स्वरूप का असर कम रहने का अंदाजा है। साथ ही कहा कि विशेषज्ञों के वैज्ञानिक मार्गदर्शन के आधार पर बूस्टर खुराक दिए जाने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
कर्नाटक में Omicron के दो मामले, एक दक्षिण अफ्रीकी नागरिक, एक स्थानीय व्यक्ति
बूस्टर खुराक दिए जाने के बारे में बहस तेज
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने कहा कि, बीमारी (Omicron) की अपेक्षित गंभीरता के वैज्ञानिक प्रमाण अभी भी सामने आ रहे हैं। इस बीच, बूस्टर खुराक दिए जाने के बारे में बहस तेज हो गई है और कई राज्यों ने जांच को तेज कर दिया है। संभावित रूप से अधिक संक्रामक स्वरूप के लिए निगरानी बढ़ा दी है।
मौजूदा टीके Omicron पर काम नहीं करते
केंद्र ने ओमीक्रोन स्वरूप (Omicron) के दो मामलों की पुष्टि की थी। मंत्रालय ने कहा कि, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह बताता हो कि मौजूदा टीके ओमीक्रोन (Omicron) पर काम नहीं करते हैं। हालांकि स्पाइक जीन पर पाए गये कुछ उत्परिर्वतन मौजूदा टीकों के असर को कम कर सकते हैं।
16 हजार यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच
लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि, ओमीक्रोन संक्रमण (Omicron) के भारत में दो मामले सामने आए हैं। खतरे की श्रेणी वाले देशों से आये 16 हजार यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच में 18 लोग कोरोना वायरस संक्रमित पाये गये हैं। जिनके जीनोम अनुक्रमण से यह पता लगाया जा रहा है कि इनमें से कितने इस नये स्वरूप से संक्रमित हैं।
वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार-विमर्श
मंत्री ने कहा कि, केंद्र ने राज्य सरकार को सभी सावधानियां (Omicron) बरतने को कहा है। हवाई अड्डे सहित अन्य स्थानों पर संक्रमण की जांच के लिये सभी एजेंसियों एवं प्रदेश सरकारों के साथ समन्वय बनाकर काम किया जा रहा है। मांडविया ने बूस्टर खुराकों को लगाने के संदर्भ में कहा कि, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) और कोविड-19 के लिए टीका लगाने पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) इस पहलू के वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
भारत में Omicron variant की एंट्री, कर्नाटक में मिले दो मामले
40 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को बूस्टर खुराक
कोविड के खिलाफ बूस्टर खुराक दिए जाने की मांग के बीच भारत के शीर्ष जीनोम वैज्ञानिकों ने कहा कि, 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को बूस्टर खुराक (Omicron) देने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस आयु वर्ग के लोगों के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा अधिक है। यह सुझाव भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के साप्ताहिक बुलेटिन में दिया गया है।
कोविड-19 के जीनोम अनुक्रमण का विश्लेषण
सरकार ने आईएनएसएसीओजी की स्थापना कोविड-19 के जीनोम (Omicron) अनुक्रमण का विश्लेषण करने के लिए की थी। आईएनएसएसीओजी के बुलेटिन में कहा कि, जिन लोगों को अधिक खतरा है, उनका टीकाकरण और 40 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर खुराक देने पर विचार किया जा सकता है। सबसे पहले, उन लोगों को लक्षित किया जाए, जिनके संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक है।
मौजूदा टीके ओमीक्रोन पर काम नहीं करते
मंत्रालय ने ओमीक्रोन स्वरूप के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) की एक सूची भी जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ‘चिंताजनक स्वरूप (Omicron)’ बताया है। मंत्रालय ने इस सूची के जरिए, मौजूदा टीकों के ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ काम करने से जुड़े प्रश्न के उत्तर में कहा कि, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह बताता हो कि मौजूदा टीके ओमीक्रोन पर काम नहीं करते हैं।
रोग की गंभीरता को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं
कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना पर मंत्रालय ने कहा कि, दक्षिण अफ्रीका के बाहर के देशों से ओमीक्रोन के मामलों का सामने आना बढ़ता जा रहा है और इसकी जो विशेषता है। उसके अनुसार इसके भारत सहित अधिक देशों में फैलने की संभावना है। हालांकि, किस स्तर पर मामले बढ़ेंगे और रोग की गंभीरता को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।
वैज्ञानिक साक्ष्य अब तक नहीं
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, भारत में टीकाकरण की तीव्र गति और डेल्टा स्वरूप (Omicron) के प्रभाव को देखते हुए इस रोग की गंभीरता कम रहने की उम्मीद है। हालांकि, वैज्ञानिक साक्ष्य अब तक नहीं आए हैं। महाराष्ट्र सरकार के कोविड-19 कार्यबल के एक सदस्य ने बताया कि, सतर्कता, जीनोम अनुक्रमण, सीमा निगरानी में सुधार और टीकाकरण कुछ ऐसी चीजें हैं। जो कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से निपटने के लिए आवश्यक हैं।
नए स्वरूप में 50 उत्परिवर्तन
कार्यबल के सदस्य एवं मुंबई के एक अस्पताल में संक्रामक रोगों के सलाहकार डॉ. वसंत नागवेकर ने कहा कि, हालांकि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन ओमीक्रोन चिंता का विषय जरूर है। नागवेकर ने कहा, हमें सतर्क रहने की जरूरत है। इस नए स्वरूप में 50 उत्परिवर्तन हुए हैं और इसने बहुत चिंता उत्पन्न की है। यह अधिक संक्रामक और प्रतिरक्षा-निरोधक भी हो सकता है। लेकिन अभी तक, इसके काई सबूत नहीं मिले हैं कि यह अधिक घातक संक्रमण है। दक्षिण अफ्रीका से मिले प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार अधिकतर युवा इसकी चपेट (Omicron) में आए हैं और इस स्वरूप के लक्षण मामूली हैं।
कर्नाटक में ओमीक्रोन स्वरूप के दो मामले
कर्नाटक में ओमीक्रोन स्वरूप (Omicron) के दो मामलों का पता चलने के बाद राज्य सरकार ने 66 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी नागरिक की परीक्षण रिपोर्ट की जांच का आदेश दिया। जिससे उन्हें देश छोड़ने की अनुमति मिली। कम से कम 10 दक्षिण अफ्रीकी यात्रियों के बेंगलुरु पहुंचने के बाद लापता होने संबंधी खबरों के बीच सरकार ने अधिकारियों से मामले पर गौर करने, उन लोगों का तुरंत पता लगाने और जांच करने का निर्देश दिया।
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