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Thursday, March 28, 2024

कोरोना वायरस के खतरे के बीच भारत में तेजी से बढ़ रहा कैंसर

नई दिल्ली: कोरोना से लड़ रहे हिंदुस्तान के लिए एक बुरी खबर है।  दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी कैंसर अब भारत को भी धीरे-धीरे अपने चंगुल में जकड़ती जा रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज इन्फॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) बेंगलुरू ने नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट जारी कर बताया है कि अगले 5 साल में कैंसर का शिकंजा भारत पर और ज्यादा मजबूत होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक देश में कैंसर के मामले 12 % तक बढ़ जाएंगे। इस साल के आखिर तक देश में कैंसर के करीब 14 लाख मामले होंगे, तो वहीं 2025 में ये आंकड़ा बढ़कर 16 लाख के करीब पहुंच सकता है।

ICMR के मुताबिक इस साल देश में तंबाकू से होने वाले कैंसर के मामले 3.77 लाख रहने का अनुमान है, जो 2020 के कैंसर के कुल मामले का 27.1 % है। पेट के कैंसर की बात करें तो 2020 में ये 2.73 लाख रहेंगे, जो कुल कैंसर का 19.8% है। वहीं 2020 में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले 2 लाख यानि 14.8 परसेंट और सर्वाइकल कैंसर के मामले 75 हजार यानि 5.4 % तक पहुंचने का अनुमान है।

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में महिलाओ और पुरुषों दोनों में कैंसर के केस बढ़ेंगे। जहां पुरुषों में  फेंफड़े, मुंह, पेट और आंत का कैंसर आम होगा, तो महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले बढ़ेंगे, आने वाले सालों में भी तंबाकू कैंसर की सबसे बड़ी वजह बना रहेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में पुरुषों में कैंसर के मामले 6.79 लाख रहेंगे, जो 2025 तक 7.63 लाख हो जाएंगे। वहीं महिलाओं में 2020 में 7.12 लाख केस और 2025 तक 8.06 लाख केस तक पहुंच जाएंगे। पुरूषों की प्रति एक लाख आबादी के आधार पर सबसे ज्यादा मामले मिजोरम की राजधानी आइजोल में 269.4 है, जबकि सबसे कम मामले उस्मानाबाद और बीड जिले में 39.5 है। इसी तरह महिलाओं की प्रति एक लाख आबादी पर 219.8 केस अरुणाचल प्रदेश के पापुमपारे जिले में है। जबकि उस्मानाबाद और बीड में ये दर 49.4 है। जो सबसे कम है।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली के बच्चों में कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं, राजधानी में 19 साल तक के लड़के और लड़कियों में कैंसर की दर देश में सबसे अधिक है। दिल्ली में 0 से 14 साल तक के बच्चों में देश का 3.7 % केस और 0 से 19 साल तक की उम्र के बच्चों में कैंसर की दर 4.9 % है। इसमें सबसे ज्यादा मामले ल्यूकेमिया के हैं। कैंसर पीड़ित बच्चों में लड़के और लड़कियों की संख्या करीब-करीब बराबर ही है।

ICMR और NCDIR की रिपोर्ट में कैंसर के बचने के कई तरीके भी बताए गए हैं। जिसमें बीमारी के प्रति जागरूकता, अच्छी लाइफस्टाइल और स्क्रीनिंग की बात कही गई है। इसके अलावा कैंसर के बचने के लिए बीड़ी-सिगरेट पीना छोड़ना गुटखा, तंबाकू खाना बंद करना अल्कोहल का इस्तेमाल बंद कर देना, अच्छी डाइट लेना एक्सरसाइज करना और जरूरी इलाज कराना शामिल है।

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 में दिया गयाा अनुमान, देशभर की 28 जनसंख्या पर आधारित कैंसर रजिस्ट्री और 58 अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्री के कैंसर के आंकड़ों के हिसाब से बनाई गई है।

कैंसर की वजहें :

कैंसर बीमारी को लेकर अभी इतनी अवेयरनैस नहीं है, कैंसर होने के कई कारण हैं इम्यून (immune) सिस्टम पर बहुत कुछ निर्भर करता है। इसके अलावा कुछ कैंसर में इन्सान की जेनेटिक प्रोफाइलिंग बहुत महत्वपूर्ण है। जेनेटिक प्रोफाइलिंग के मुताबिक कई तरह कैंसर (cancer) होंगे या नहीं ये इस पर निर्भर करता है।

लंग कैंसर का एक कारण कैमिकल्स, ऑटोमोबाइल्स के प्रदूषण में मौजूद हाइड्रोकार्बन्स के पार्टिकल्स होते हैं, जिससे लंग कैंसर होने का ज्यादा ख़तरा रहता है।

खाने को कैसे पकाया जाता है, क्या फूड हैबिट्स हैं, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है- मसलन जैसे फ्राइड, ग्रिल्ड, भूना हुआ होने से एक अलग तरह का कैमिकल प्रोड्यूस होता है, जिससे कैंसर होने का खतरा होता है। सबसे सुरक्षित रहता है कि आप उबला हुआ खाना खाएं।

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है, स्तन कैंसर होने के कई कारण है, उनमें से एक है फिजिकल एक्सरसाइज कम होना, मोटापा, इसके अलावा देर से शादी होना, ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करवाना, कंसीव नहीं करता, या फिर ब्रेस्ट कैंसर का फैमिली हिस्ट्री होना।

क्रोनिक हेपेटाइटिस ‘बी से लीवर सिरोसिस तथा लीवर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसे आमतौर पर जौंडिस, पेट में पानी आना, खून की उल्टी होना, काला दस्त होना, बेहोशी के लक्षणों से पहचान सकते हैं। ये बातें ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के ओंकोलॉजी विभाग के हेड डॉ. प्रवीन बंसल ने हेपेटाइटिस से बचने के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए बताई।

इस दौरान उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) पूरे विश्व में लीवर संक्रमण का सबसे सामान्य कारण है। यह हेपेटाइटिस ‘बी वायरस के कारण होता है। यह सामान्यतया संक्रमित खून चढ़ाने से, असुरक्षित यौन संबंध से, संक्रमित माता से नवजात शिशु में होता है।

लगभग सात लाख लोग प्रतिवर्ष हेपेटाइटिस ‘बी (Hepatitis B) के कारण मरते हैं।अधिकतर लोग इसके संक्रमण से अनभज्ञि रहते हैं। ऐसे लोग दूसरे लोगों में हेपेटाइटिस बी के संक्रमण के खतरे को बढ़ाते हैं। इसका इलाज संभव है। इसके संभावित मरीजों को हर छह माह में अपना चेकअप अवश्य करवाना चाहिए। शराब और धूम्रपान बन्द करें। पौष्टिक भोजन करें। इसके अलावा हेपेटाइटिस ‘सी’ से भी लीवर कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है.

धूम्रपान, गुटका, पान तम्बाकू, सौंफ सुपारी का सेवन से गले, हेड और नेक कैंसर होने का खतरा रहता है। लगातार शराब और वाइन के सेवन से फूड पाइप, लीवर और स्टमक कैंसर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है

कुछ एक इलाकों में रहने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जैसे केरल में ज़मीन के नीचे यूरेनियम का भंडार ज्यादा है। लिहाजा इस इलाके में रेडिएशन का खतरा ज्यादा रहता है जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

टिन की चादरें जहां बनती हैं, वहां काम करने वाले कर्मचारियों को कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। डॉ. प्रवीन बसंल के मुताबिक भारत में एस्बेस्टस से बनी सीमेंट की चद्दर बनाने का उद्योग 10 फ़ीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है। भारत सरकार की ग्रामीण आवास परियोजनाओं की वजह से इनकी मांग बढ़ गई है क्योंकि इन योजनाओं में घर की क़ीमत को कम रखने पर ज़ोर दिया जाता है।

Priya Tomar
Priya Tomar
I am Priya Tomar working as Sub Editor. I have more than 2 years of experience in Content Writing, Reporting, Editing and Photography .

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