नई दिल्ली। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने हिंदू धर्म व ब्राह्मणों के खिलाफ विवादित बयान देकर राजनीति को गरमा दिया है। भारतीय जनता पाटी के कई नेताओं ने उन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर नसीहत दी है। इसी कड़ी में अब बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने जीतन राम मांझी पर जोरदार प्रहार किया है। मनोज शर्मा ने कहा भगवान राम एक संस्कार है, राम एक संस्कृति है, राम एक प्रेरणा है, राम मर्यादा है, राम पुरुषोत्तम है। जिन लोगों को राम के अस्तित्व पर संदेह है, वो पहले अपने नाम से राम का परित्याग कर दें। जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रहे है लेकिन, उनकी यह भाषा उनके व्यक्तित्व और उनके संस्कार को धूमिल कर रहा है। जीतन राम मांझी खुद आस्तिक हैं या नास्तिक हैं यह उनका अपना व्यक्तिगत सोच हो सकता है। लेकिन भारतीय समाज, सनातन धर्म राम को अपना आराध्य मानता है और मानता रहेगा।
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मनोज शर्मा इतना पर ही नहीं रूके आगे उन्होंने कहा जीतन राम मांझी, अपने आप को विद्वान कहते हैं, पढ़े-लिखे कहते हैं शायद उन्होंने रामायण का ठीक ढंग से अध्ययन नहीं किया है। यदि वह रामायण पढ़े होते तो उनको पता चलता कि श्री राम जी के अभिन्न मित्रों में से दलित समुदाय के केवट थे। श्री राम ने दलित समुदाय की शबरी के हाथों से उसके जूठे बेर खाए थे और श्री राम जी ने अपने मर्यादा और अपने पुरुषार्थ के साथ साथ अपनी जनता के लिए उन्होंने धोबी समाज के कहने पर अपनी पत्नी तक का परित्याग कर दिया था। जीतन राम मांझी श्री राम का जीवन ऐसे लोगों के इर्द-गिर्द ही घूमता नजर आ रहा है। मेरा तो सुझाव है कि यदि जीतन राम मांझी जी श्री रामचंद्र जी के अस्तित्व पर संदेह करते हैं तो एक बार अयोध्या घूम आएं, कांसेप्ट क्लियर हो जाएगा।
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समाज किसी एक व्यक्ति के इशारों पर नहीं चलता है, समाज के लिए एक नीति, एक नियत और एक साधना होती है, जो पूरे समाज को लेकर एक साथ चलती है। भगवान श्री रामचंद्र जी ने यही सन्देश समाज को दिया था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी नियत, उसी उद्देश्य के साथ श्री रामचंद्र जी को प्रेरणा मानते हुए काम कर रहे हैं। जीतनराम मांझी जी ने श्री रामचंद्र जी के अस्तित्व को लेकर जो बयान दिया है वह बिल्कुल असत्य और मनगढ़ंत है। यह राजनीति से ओतप्रोत है। देश का सर्वोच्च न्यायालय भी भगवान श्री रामचंद्र जी के अस्तित्व को मानता है। इसलिए आज अयोध्या में श्री रामचंद्र जी का भव्य मंदिर निर्माण हो रहा है। और सबसे बड़ी बात है देश के सबसे बड़े दलित चिंतक और दलितों के मसीहा भीमराव अंबेडकर जी ने राम के अस्तित्व को माना है।
मनोज शर्मा संविधान का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान के शुरुआती पन्नों में रामचंद्र जी के की तस्वीर के साथ साथ उनके प्रेरणा और उनकी जीवन शैली को भारतीय संविधान के मूल में स्थापित किया है। जीतनराम मांझी जी शायद उस दौर से गुजर रहे हैं जहां उनको अपने अस्तित्व का खतरा नजर आ रहा है। नहीं तो श्री रामचंद्र जी के अस्तित्व और उनकी प्रासंगिकता को लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी अपनी मुहर लगाई।
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मांझी ने क्या कहा था, जानिए
जीतन राम मांझी ने बीते दिन पटना में मुसर भुइयां समाज के एक कार्यक्रम में हिंदू धर्म को खराब बताया तथा दलित समाज में सत्यनारायण भगवान की पूजा पर सवाल खड़े किए। कहा कि पंडित …. (अपशब्द) आते हैं और कहते हैं वे उनके घर खाएंगे नहीं, वे नगद ही मांगते हैं। मांझी ने कहा कि पहले दलितों के बीच यह पूजा नहीं होती थी, लेकिन आजकल खूब हो रही है। बाबा साहेब अंबेडकर की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदू धर्म को खराब बताया था। उनका निधन बौद्ध धर्म अपनाने के बाद हुआ था।