नई दिल्ली: मिजोरम (Mizoram) के सीएम जोरमथंगा (Zoramthanga) के लिए आज राहत भरी खबर आई हैं। भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक विशेष अदालत (Court) ने सत्ता के गलत उपयोग और आय के ज्ञात स्रोत से ज्यादा की संपत्ति के मामलों में मुख्यमंत्री (CM) जोरमथंगा को बरी कर दिया है। न्यायाधीश (Justice) ने पहले मामले में कल कहा था कि – कृषि विभाग ने जरूरतमंद किसानों (Farmers) के मुनाफे के लिए कानूनी तरीके से सामग्री (Material) जारी करी थी।
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उन्होंने कहा कि – लघु सीमांत किसानों को सहायता योजना के तहत बाड़ लगाने के लिए इन सामग्रियों को देने का प्रावधान किया गया है। दूसरे मामले में अदालत ने कहा कि – उसे यह साबित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं मिले हैं कि आरोपी के पास आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति थी. इसलिए, उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (दंड) की धारा 13 (2) (लोकसेवक द्वारा अपराध के लिए सजा) के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता हैं।
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पीपुल राइट टू इनफोरमेशन एंड डेवल्पमेंट इम्पलीमेंटिंग सोसाइटी ऑफ मिजोरम और ‘मिजोरम उपा पाउल’ ने 2009 में मुख्यमंत्री जोरमथंगा के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था। उनके खिलाफ 2007 में शिरफिर के आई ने पुरे इलाके में अपनी कृषि भूमि के लिए कृषि विभाग से लोहे की छड़ें और बकरों से बचाव के लिए तार के बने जाल खरीदने के लिए लोकसेवक के तौर पर अपने अधिकारों का गलत उपयोग करने का आरोप लगाया था। जोरमथंगा उस समय भी मुख्यमंत्री के पद पर आसीन थे।
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