नई दिल्ली: एक तेरह वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में सुनवाई करते हुए हिमाचल हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह दलील दी गई थी कि पीड़िता ने आरोपी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी और यह तर्क दिया कि पीडिता ने स्वयं ही फेसबुक पर अपनी आईडी बनाई, इसलिए उसे 18 वर्ष के ऊपर की आयु का माना जाए. आरोपी के वकील ने यह भी दलील दी कि पीड़िता ने आरोपी के साथ सहमति से सहवास किया.
लाइव लॉ के मुताबिक इस मामले पर सुनवाई करते हुए हिमाचल हाई कोर्ट ने कहा, ‘लोग नेटवर्किंग, ज्ञान और मनोरंजन के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, न कि यौन शोषण और मानसिक शोषण करने के लिए.’ कोर्ट ने आगे कहा, ‘अधिकांश युवा आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद और सक्रिय हैं. इसलिए युवाओं का फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर नए सामाजिक संबंध बनाना असामान्य नहीं है. इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि जो बच्चे सोशल मीडिया अकाउंट बनाते हैं, वे यौन की खोज के लिए अथवा वे इस तरह के निमंत्रण प्राप्त करने के इरादे से ऐसा करते हैं.’
इस मामले में आरोपी का तर्क था कि लड़की ने अपने नाम से फेसबुक अकाउंट बनाया था, इसलिए उसने माना कि वह 18 साल से ऊपर की उम्र की है और इसलिए उसने खुद आरोपी के साथ सहमति से सहवास किया. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि 13 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति फेसबुक अकाउंट बना सकता है और इसलिए यह विवाद स्वीकार्य नहीं है. अदालत ने कहा, पीड़िता के आरोपी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने से यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि पीड़िता ने ऐसा सहवास संबंध स्थापित करने के इरादे से किया था.