नई दिल्ली। देवकी और वासुदेव के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जानते हैं। द्वापर युग में अत्याचारी कंस से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने कृष्णावतार लिया। बाल गोपाल श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि के समय में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस वर्ष भी जन्माष्टमी पर उनके जन्म के समय जैसी ही ग्रह और नक्षत्रों की स्थितियां बन रही हैं।
Kajari Teej 2021: कजरी तीज पर पढ़ें ये व्रत कथा, जानें कैसे करें पूजा
तो हर साल बड़े ही धूम-धाम से देश भर में इस दिन भगवान जी का जन्मदिन मनाया जाता है। तो ऐसे में इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त दिन सोमवार को है। इस दिन पूरे देशभर में हर्षोल्लास से जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। वहीं इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि और कृष्ण जन्मोत्सव का उत्तम मुहूर्त क्या है इसके लिए हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट से लग रही है।
यह तिथि 30 अगस्त दिन सोमवार को देर रात 01 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ होगी। ऐसे में इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त को मनाई जाएगी। 30 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भी रखा जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि प्रहर में हुआ था। इस वजह से 30 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का मुहूर्त भी रात्रि के समय का है।
Rakhi celebration 2021: इस बार मनाएं ईको फ्रेंजली राखी
गौरतलब है कि हर वर्ष मध्य रात्रि में ही जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक है। इस समय में आप बाल गोपाल श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं और भजन-कीर्तन करें। जन्माष्टमी पूजा के लिए यह मुहूर्त उत्तम है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करें। जो लोग संतानहीन हैं, उनको अवश्य जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए।
जन्माष्टमी की पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत और पूजा करने का संकल्प लेते हैं। इस पूरे दिन कृष्ण भक्त व्रत रखते हैं और रात के 12 बजे में कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा होती है। रात्रि में पंचामृत से अभिषेक करें और फिर भगवान कृष्ण को नए वस्त्र, मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी, फल, फूल, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. फिर लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं। इसके बाद माखन मिश्री या धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं और बाद में आरती करके प्रसाद को वितरित करें।
पुत्र प्राप्ति मंत्र
ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
जिन लोगों की कोई संतान नहीं है उन्हें इस का मंत्र का जाप व्रत रखते हुए 108 बार करना चाहिए।
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। खासतौर पर निसंतान दंपत्ति को जन्माष्टमी का व्रत करने से संतान प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी इच्छा जल्द पूरी होती है। कई लोग जन्माष्टमी के दिन विशेष उपाय करते हैं ताकि उन सभी परेशानियां दूर हो जाएं। ज्योतिषों के अनुसार इन उपायों को करने से आर्थिक समते पारिवारिक समस्याएं दूर हो जाती है। शास्त्रों में कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी सारे कष्ट दूर हो जाते हैं कई गुणा फल की प्राप्ति होती है।
सोशल मीडिया अपडेट्स के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।