नई दिल्ली। उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli tragedy) जिले में गाद और मलबे से भरी तपोवन सुरंग में फंसे 30-35 लोगों की तलाश में बचाव दलों ने विपरीत परिस्थितियों में नौवें दिन भी अपना अभियान जारी रखा है। हलांकि लेकिन भारी तादाद में मलबा जमा होने के चलते रेस्क्यू की रफ्तार धीमी है। SDRF के डीआईजी ने बताया कि अब तक कुल 58 शव बरामद किए गए हैं जिनमें से 31 शव की पहचान हो गई है। वहीं SDRF और NDRF के द्वारा तपोवन,रैणी और आस-पास के क्षेत्रों में सर्च अभियान जारी है।
अब तक कुल 58 शव बरामद हुए हैं जिनमें से 31 शव की पहचान हो गई है। सभी फोर्स तपोवन टनल में अभी भी बचाव अभियान चला रही हैं। लगभग 11 शव टनल से निकाले गए हैं जिनकी पहचान हो गई है। SDRF और NDRF के द्वारा तपोवन,रैणी और आस-पास के क्षेत्रों में सर्च अभियान जारी है: DIG, SDRF #Uttarakhand pic.twitter.com/TMghHECkn5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 16, 2021
VIDEO: चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही, मचा कोहराम
रेस्क्यू ऑपरेशन में 3-4 दिन और लगेंगे
वहीं उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बती यी कि हमारा सर्च ऑपरेशन जारी है। तपोवन टनल से आज 3 शव और मिले हैं जिसे लेकर वहां से कुल 8 शव बरामद हुए हैं। रैणी से कल शाम तक 7 शव मिले थे आज कोई नया शव नहीं मिला है। उन्होंने कहा रेस्क्यू ऑपरेशन में 3-4 दिन और लगेंगे। पोस्टमार्टम भी कह रहा है और हमारा अंदाजा भी है कि हादसे के दौरान ही इन लोगों की मौत हो गई थी। ऐसा नहीं है कि हमने पहले टनल खोल लिया होता तो ये लोग बच जाते। टनल के अंदर सभी NTPC के लोग थे।
इससे पहले पुलिस महानिदेशक ने कहा, आपदा आए 10 दिन हो चुके हैं लेकिन हमने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है और हम ज्यादा से ज्यादा जिंदगियां बचाने के लिए सभी मुमकिन प्रयास करेंगे। लापता लोगों के परिजनों द्वारा तपोवन में विरोध किए जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा कि सुरंग में फंसे लोगों तक संपर्क स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और लोगों को धीरज नहीं खोना चाहिए।
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जानें क्या है पूरा मामला
देवभूमि उत्तराखंड में रविवार को फिर कुदरत का कहर देखने को मिला है। एका-एक ग्लेशियर टूट जाने के कारण देखते ही देखते पानी के तेज बहाव ने उत्तराखंड के कई जिलों को तहश-नहस कर दिया। इस कुदरती हादसे में पुल से लेकर घर तक को नुकसान हुआ है। ऋषिगंगा घाटी पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी। जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए थे। घटना के बाद से ही वहां लगातार तलाश और बचाव अभियान चलाया जा रहा है जिसमें सेना, एनडीआरएफ, आइटीबीपी और एसडीआरएफ शामिल हैं ।