नई दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर पूरा देश झेल रहा है। ऐसे में तमाम विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि सरकार कोरोना से निपटने में पूरी तरह से विफल रही है। इसी कड़ी में अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की और कहा अर्थव्यवस्था (Economy) में 2020-21 के दौरान 7.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है, अगर 2021-21 में ऐसी स्थिति से बचना है तो सरकार को अपनी गलतियां स्वीकार करते हुए विपक्ष एवं अर्थशास्त्रियों की सलाह सुननी चाहिए।
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पूर्व वित्त मंत्री ने कहा अर्थव्यवस्था की लिहाज से 2021-21 को पिछले चार दशक का सबसे अंधकारमय साल है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, जिसका अंदाजा लगाया जा रहा था, वही हुआ। पिछले वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।चिदंबरम ने कहा कि 2018-19 में जीडीपी 140,03,316 करोड़ थी। 2019-20 में यह 145,69,268 करोड़ रुपये थी और 2020-21 में यह घटकर 135,12,740 करोड़ रुपये हो गई। यह देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को बताता है।
LIVE: Special Congress Party briefing on new GDP numbers, by Shri @PChidambaram_IN, former Finance Minister via video conferencing https://t.co/gSUeaVPME0
— Congress (@INCIndia) June 1, 2021
चिदंबरम ने कहा, पिछले साल जब कोरोना महामारी की पहली लहर धीमी पड़ती नजर आई तो वित्त मंत्री और मुख्य आर्थिक सलाहकार अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की बातें करने लगे और हमने कहा था कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन पैकेज की मजबूत मदद चाहिए। पूर्व वृत मंत्री ने कहानिश्चित तौर पर कोरोना महामारी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक रूप से असर पड़ा है, लेकिन अकुशल और अक्षम आर्थिक प्रबंधन ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को और बिगाड़ दिया।
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पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। इसमें पहली लहर की तुलना में संक्रमण और मौतों की संख्या की लिहाज से ज्यादा नुकसान हुआ है। अगर 2020-21 की तरह साल 2021-22 को नहीं होने देना है तो सरकार को जागना चाहिए, अपनी गलतियां स्वीकार करनी चाहिए, अपनी नीतियां बदलनी चाहिए तथा विपक्ष एवं अर्थशास्त्रियों की सलाह स्वीकार करनी चाहिए।
गौरतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है जो गिरावट के बारे में पहले के विभिन्न अनुमानों से कम है। इसका कारण कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से ठीक पहले चौथी तिमाही में वृद्धि दर का कुछ बेहतर रहना है।